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पटना
आरटीपीजीआरए कानून का प्रचार-प्रसार गांव-गांव तक करने की जरूरत : मुख्यमंत्री नीतीश
By Deshwani | Publish Date: 5/6/2018 5:55:51 PM
आरटीपीजीआरए कानून का प्रचार-प्रसार गांव-गांव तक करने की जरूरत : मुख्यमंत्री नीतीश

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम कानून (आरटीपीजीआरए) से लोगों की शिकायतों का निपटारा तय समय पर हो रहा है। यह अच्छी बात है, लेकिन इस कानून में जिन-जिन विभागों या अधिकारियों या मामलों के खिलाफ शिकायतें आयी हैं। उन बिंदुओं या सिस्टम को पूरी तरह से दुरुस्त करने की सख्त जरूरत है। ताकि लोगों को छोटी और सामान्य जरूरत के मामलों के लिए शिकायत करने नहीं आना पड़े। जिलावार शिकायतों को चिन्हित करके उसके आधार पर संबंधित विभाग में व्यवस्था को हर तरह से ठीक करके उचित कार्रवाई की जायेगी। 

 
मुख्यमंत्री आरटीपीजीआरए के क्रियान्वयन के दो वर्ष पूरा होने पर सचिवालय परिसर स्थित अधिवेशन भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिस्टम को हर तरह से आइडियल नहीं बनाया जा सकता है। सरकार में सभी तरह के लोग हैं, कोई दायें देखता है, तो कोई बायें। इस वजह से आरटीपीजीआरए के तहत जितनी भी तरह की शिकायतें अब तक आ चुकी हैं। उसके आधार पर विभिन्न विभागों में सुधार के लिए आंतरिक स्तर पर सुधार करने की जरूरत है। इससे सिस्टम दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। आम लोगों की शिकायतें दूर होंगी, तभी लोगों का भरोसा प्रशासनिक तंत्र हो सकेगा।
 
सीएम ने कहा कि आरटीपीजीआरए का प्रचार-प्रसार गांव-गांव तक करने की जरूरत है। खासकर सुदूरवर्ती इलाकों में इनका प्रचार जोर-शोर से होना चाहिए। प्रचार माध्यमों में स्थानीय भाषा और बेहद सरल शब्दों का उपयोग किया जाये। मैथिली क्षेत्र में मैथिली भाषा, मगध क्षेत्र में मगही, भोजपुर क्षेत्र में भोजपुरी भाषा का उपयोग करते हुए प्रचार तैयार किया जाये। यह बतायें लोगों कि आवेदन करने के लिए वह कहां जायें, इसे भी बताने की जरूरत है।
 
जनता के दरबार के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें जितनी शिकायतें आती थी, उसमें 40 फीसदी शिकायतों का ही समाधान होता था। इस वजह से लोक शिकायत निवारण अधिनियम के माध्यम से शिकायतों के निपटारे की व्यवस्था शुरू की गयी। यह 44 विभागों की 475 योजनाओं पर लागू है। सीएम ने कहा कि इसमें अब तक सबसे ज्यादा 35-40 फीसदी मामले भूमि विवाद से जुड़े ही आये हैं। जमीन से जुड़ी समस्याएं दूर करने के लिए जमीन का एरियल सर्वे कराया जा रहा है। वर्ष 2020 तक अधिकांश जिलों का सर्वे कार्य पूरा होने की संभावना है।
 
 
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