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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री के इच्छाशक्ति की तारिफ की, कहा- 'मोदी है तो मुमकिन है'
By Deshwani | Publish Date: 15/8/2019 1:16:28 PM
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री के इच्छाशक्ति की तारिफ की, कहा- 'मोदी है तो मुमकिन है'

नागपुर। 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने रेशीमबाग स्थित डॉ हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में राष्ट्रध्वज फहराया। झंडा वंदन के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री के इच्छाशक्ति कि तारिफ करते हुए “मोदी है तो मुमकिन है” का अपने भाषण में जिक्र किया। 
 
तिरंगा फहराने के बाद उपस्थित नागरिकों को मार्गदर्शन करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि, देश के नेतृत्त्व में जो विद्यमान इच्छाशक्ती को समाज कि संकल्पशक्ति ने साथ देने कि जरूरत है। संघप्रमुख ने मोदी की इच्छाशक्ति की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी इच्छाशक्ति को समाज की संकल्पशक्ति का साथ देने की जरूरत है। साथ ही सरसंघचालक ने कश्मीर का नाम न लेते हुए वहां की बदली हुई परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसे सरकार की इच्छाशक्ति का परिणाम बताया । 
 
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होना चाहिए इसके लिए हुए प्रयासो में संघ हमेशा आगे रहा है। केन्द्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए को समाप्त करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि ओर से इस निर्णय का स्वागत किया गया था। लेकिन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरसंघचालक ने सिधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और केन्द्र सरकार कि प्रशंसा कि।
 
इस अवसर पर डॉ. भागवत ने बताया कि, प्रधानमंत्री के नाम से लोग कहते ही है कि, “ वो है तो मुमकिन है... ठीक है, उसमे कोई गलत बात भी नही है आख़िर करने वाले की इच्छाशक्ति का भी सवाल होता है आखिर देश की धुरा जिनके हात में है उनकी यह संकल्प शक्ति बनी रहे इसके लिए संपूर्ण समाज की इच्छाशक्ति आवश्यक है।” जम्मू-कश्मीर का नाम लिए बिना उन्होंने कहा की, “ देश के अन्य राज्यों कि तरह पूर्ण स्वतंत्रता का अनुभव उस राज्य में भी होना चाहिए। उस राज्य को भी देश के अन्य राज्यो कि तरह जीने का मौका मिलना चाहिए। साथ ही संविधान में नागरिको के जिस समानता कि बात कि गई है वह समानता प्रत्यक्ष में दिखाई दे।” 
 
देश को स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद दुनिया से आई प्रतिक्रियाओं का जिक्र करते हुए डॉ. भागवत ने कहा की, भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद दुनिया के कई बडे लोग कह रहे थे कि, यह देश अधिक दिनो तक स्वतंत्र नही रह पाएगा। लेकिन हमारे मन में विश्वास था और हमने ना केवल देश को सुचारू रूप से चला के दिखाया अपितु उसे नई-नई उंचाईंयों पर पहुंचाया।
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