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अजीत डोभाल बने रहेंगे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा
By Deshwani | Publish Date: 3/6/2019 9:39:18 PM
अजीत डोभाल बने रहेंगे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा

नई दिल्ली।
 
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मौजूदा सरकार में कैबिनेट रैंक दिया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान को मान्यता देते हुए ऐसा किया गया है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा।

सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मदद के लिए पिछले वर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति की थी। ये राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों से संबंधित मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देते हैं। 
 

वीरता के लिए सबसे बड़े नागरिक सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित और आइबी के पूर्व निदेशक डोभाल ने उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक की योजना बनाने और उन्हें मूर्त रूप देने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही उन्हें आंतरिक सुरक्षा तंत्र को भी चाक-चौबंद करने का श्रेय जाता है।

जिस कारण पिछले पांच साल में तमाम कोशिशों के बावजूद आइएस से लेकर अलकायदा तक कोई भी आतंकी संगठन भारत में पैर जमाने में सफल नहीं हो सका और उनके मंसूबे को शुरुआती दौर में ही कुचल दिया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा में डोभाल की अहम भूमिका देखते हुए मोदी सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में उन्हें डिफेंस प्लानिंग कमेटी का प्रमुख बना दिया था।
 
 
इसके प्रमुख कैबिनेट सचिव हुआ करते थे। एनएसए और कैबिनेट सचिव के साथ ही गृह सचिव, रक्षा सचिव, विदेश सचिव और तीनों सेना के प्रमुख इसके सदस्य हैं। यह देश की सुरक्षा में फैसला लेने वाली सबसे बड़ी निकाय है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ कूटनीतिक क्षेत्र में डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी। खासतौर चीन के साथ संबंधों को सुधारने का जिम्मा उनके कंधों पर था। भारत-चीन सीमा विवाद का स्थायी समाधान निकालने के लिए गठित समिति में भारत की ओर से डोभाल ही प्रतिनिधित्व करते हैं और इस सिलसिले में चीन के एनएसए के साथ उनकी कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
 
 
राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति के अलावा भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत में लाने में केंद्रीय भूमिका निभाने का श्रेय उन्हें जाता है। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने में अजीत डोभाल और उनकी टीम ने ही मेहनत की थी। यही कारण है कि ब्रिटिश नागरिक होने के बावजूद यूएई से इसे प्रत्यर्पित कराने में सफलता मिली।

हमेशा निभाते हैं अहम भूमिका

- 1968 में अखिल भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुने गए, केरल कैडर मिला।
- मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाई।
- 1999 में कंधार विमान हाईजैक में सरकार के प्रमुख तीन वार्ताकारों में रहे।
- 1971 से 1999 के बीच 15 हाईजैक की कोशिशों से निपटने में भूमिका निभाई।
- 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2 से अहम खुफिया जानकारी जुटाई।
- 1990 में उग्रवाद पर काबू के लिए जम्मू एवं कश्मीर भेजा गया।
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