डीएमके अध्यक्ष बनते ही बोले स्टालिन, मेरा कोई भाई नहीं, प्रधानमंत्री मोदी पर भी किया हमला
चेन्नई। द्रमुक नेता एम. के. स्टालिन को आज निॢवरोध पार्टी का नया अध्यक्ष चुन लिया गया। इसके साथ ही तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल की राजनीति का नया अध्याय शुरू हो गया है। स्टालिन पार्टी के दूसरे अध्यक्ष चुने गए हैं। इससे पहले उनके पिता एम. करुणानिधि करीब 50 वर्ष तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। उन्हें 1969 में पार्टी प्रमुख चुना गया था। गौरतलब है कि पार्टी प्रमुख पद के लिए 26 अगस्त को नामांकन भरने वाले स्टालिन एकमात्र प्रत्याशी थे। ऐसे में उनका चयन निर्विरोध हुआ।
अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले भाषण में स्टालिन ने एआईएडीएमके , प्रधानमंत्री मोदी और परोक्ष रूप से अपने भाई एमके अलगिरी पर निशाना साधा। आम सभा में अपने चुनाव के बाद अध्यक्ष के रूप में पहले भाषण में स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार देश में ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है और उसे सबक सिखाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी सरकार देश को भगवा रंग में रंगने का प्रयास कर रही है। उसे सबक सिखाना होगा।’’स्टालिन ने तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक सरकार को कमजोर बताते हुए कहा कि इसे हटाना होगा।
अपने भाई एमके अलगिरी पर हमला करते हुए स्टालिन ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है। पार्टी की आम सभा की बैठक में द्रमुक के महासचिव के. अंबाजगन ने स्टालिन के अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की। पार्टी अध्यक्ष और पिता एम. करुणानिधि की मृत्यु के तीन सप्ताह बाद 65 वर्षीय स्टालिन को द्रमुक प्रमुख चुना गया है। करुणानिधि का सात अगस्त को निधन हो गया था। हालांकि स्टालिन के बड़े भाई और द्रमुक से निष्कासित नेता एम. के. अलागिरी ने धमकी दी थी कि यदि उन्हें पार्टी में वापस नहीं लिया गया तो इसके अंजाम सही नहीं होंगे।बैठक में सदस्यों की तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच अंबाजगन ने कहा, ‘पार्टी प्रमुख पद के लिए सिर्फ एम के स्टालिन ने नामांकन भरा था,चूंकि स्टालिन के अलावा अन्य कोई पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ रहा है, ऐसे में एम. के. स्टालिन निर्विरोध पार्टी प्रमुख चुने जाते हैं।’
कलैनार अरांगम में हुई बैठक में जैसे ही स्टालिन के नाम की घोषणा हुई, पूरा समां ‘तलपति’ (दलपति) के नारे से गूंज उठा। द्रमुक के प्रधान सचिव दुरई मुरूगन को पार्टी का नया कोषाध्यक्ष चुना गया है। वह स्टालिन की जगह लेंगे, जिनके अध्यक्ष बनने के कारण पार्टी कोषाध्यक्ष का पद रिक्त हो गया है। इस दौरान अंबाजगन ने याद किया कि कैसे करुणानिधि ने एक बार उनसे कहा था कि उन्होंने स्टालिन के प्रति पिता होने का कोई फर्ज नहीं निभाया, लेकिन स्टालिन ने एक बेटे के रूप में उन्हें गर्व करने के अवसर दिए। उन्होंने कहा, आम सभा चाहती थी कि कलैनार (करूणानिधि) के पुत्र पार्टी अध्यक्ष बनें।