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कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के कारण 63 किसानों की मौत
By Deshwani | Publish Date: 11/3/2018 3:02:44 PM
कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के कारण 63 किसानों की मौत

नयी दिल्ली।  देश के विभिन्न हिस्सों में कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के कारण 63 किसानों की मौत की रिपोर्ट है और अब सरकार इसके हानिकारक प्रभावों को देखते हुए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को संसद से पारित कराने पर विचार कर रही है।  तत्कालीन संप्रग सरकार ने वर्ष 2008 में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक संसद में पेश किया था, लेकिन उसे पारित नहीं किया जा सका। 

 
इसकी मियाद खत्म होने से विधेयक निष्प्रभावी हो गया।  कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, ऐसे 66 कीटनाशक हैं जो एक या एक से अधिक देशों में प्रतिबंधित हैं तथा वापस ले लिये गये हैं लेकिन भारत में पंजीकृत किये जा रहे हैं।  इस विषय पर अनुपम वर्मा समिति ने दिसंबर 2015 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी।  
 
इस विशेषज्ञ समिति ने 13 कीटनाशकों पर पूरी तरह से रोक लगाने और वर्ष 2018 तक कुछ तकनीकी अध्ययन पूरा करने की सिफारिश की थी। समिति ने कहा कि कीटनाशक फेनीट्रोथियोन पर प्रतिबंध बना रहेगा जबकि 13 कीटनाश्कों का प्रयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जायेगा जिसमें बेनोमोइल, कार्बारील, डीडीटी डायाजिनोन, फेनरिमोल, फेथिओन, लिनुरान, एमआईएमसी, मिथाइल पैराथियान, सोडियम सायनाइड, थियोटोन, ट्राइडमोर्फ, ट्राइफ्लारेलिन शामिल है।
 
एंडोसल्फान की समीक्षा नहीं की गयी है क्योंकि यह न्यायाधीन है. कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार कीटनाशक प्रबंधन संबंधी विधेयक को संसद से पारित कराना चाहती है जो किसानों के हितों की पूर्ति करने वाला है।  लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि राज्य मंत्री ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि भारत सरकार से प्राप्त सूचना के आधार पर कीटनाशकों की हैंडलिंग के कारण 63 किसानों या श्रमिकों की मृत्यु की रिपोर्ट मिली है।  
 
साल 2016 में संसद के मानसून सत्र के दौरान कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2008 को चर्चा एवं पारित किये जाने के लिये कामकाज की सूची में शामिल किया गया था लेकिन यह पारित नहीं हो सका।  इस विधेयक पर संसद की स्थायी समिति विचार कर रिपोर्ट पेश कर चुकी है. संसद की मंजूरी मिलने पर यह कीटनाशक अधिनियम 1968 का स्थान लेगा।  इस विधेयक में कीटनाशक को नये सिरे से परिभाषित किया गया है। 
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