बिहार
पितृपक्ष के पूर्व 'मोक्षस्थली' गया में सन्नाटा, ऑनलाइन पिंडदान के विरोध में पंडासमाज
By Deshwani | Publish Date: 1/9/2020 2:11:34 PMगया। पितृपक्ष में पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ गया आने वाले पिंडदानी इस बार पितृपक्ष में यहां नहीं पहुंच पाएंगे। सरकार द्वारा कोरोना काल में धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने भी इस साल पितृपक्ष मेले पर रोक लगा दी। बता दें इस साल दो सितंबर से शुरू होने वाले पितृपक्ष के एक दिन पहले तक 'विष्णुनगरी' गया में पिंडदानियों के नहीं पहुंचने के कारण सन्नाटा पसरा है।
बता दें कि पुरखों (पूर्वजों) को पिंडदान करने के लिए पितृपक्ष में देश, दुनिया के श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। पितृपक्ष प्रारंभ होने के एक दिन पहले पुनपुन नदी में तर्पण, पिंडदान करने श्रद्घालु यहां पहुचते हैं और पितृपक्ष प्रारंभ होने के साथ विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं।
इधर गया के पंडों ने ऑनलाइन पिंडदान का भी विरोध करते हुए इसका बहिष्कार कर दिया है.। तीर्थ और वृत्ति सुधारिणी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटियार ने बताया कि मोक्षस्थली गया में पिंडदान ना कभी रुका है और ना कभी रुकेगा। उन्होंने कहा श्रद्धा से ही श्राद्ध की उत्पति हुई है। उन्होंने बताया, "धर्मशास्त्र में कहीं भी ऑनलाइन की व्यवस्था का उल्लेख नहीं है। पिंडदान पुत्रों द्वारा पितृऋण से मुक्ति का मार्ग है, लेकिन जब पुत्र ही उपस्थित नहीं होगा तो फिर यह तो धोखा है।"
मान्यता है कि पिंडदान करने से मृतात्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है। उल्लेखनीय है कि पितृपक्ष मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है। इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग प्रकार का है।