◆गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन से पोषक तत्व तथा विद्यार्थियों में समानता, सहयोग की भावना विकसित।
बेतिया। हृदयानन्द सिंह यादव। वैश्विक आपदा कोरोना महामारी की वजह से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सरकारी विद्यालय और विद्यार्थी भी इससे सबसे अधिक व लम्बे समय तक प्रभावित रहें हैं। स्वास्थ्य सुरक्षा करणों से विद्यालय तथा सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए बनने वाला गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन लम्बे समय तक बंद रहे। सरकार ने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य, विद्यालय में उनका ठहराव को लिए विद्यालय में मध्यांतर के समय मध्याह्न भोजन की शुरुआत किया। जिसका लाभ विद्यार्थियों की उपस्थिति में दिखता है। सरकारी विद्यालय में दलित, महादलित, अल्पसंख्यक, समान्य सभी कोटि के गरीब, मध्यम वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं।
ऐसे परिवार भी हैं जिनके माता-पिता जीविकोपार्जन को सुबह ही घर से निकल जाते हैं। ऐसे में उनके बच्चों को भोजन की समस्या होती है। कुछ बालक-बालिका विद्यालय से दूर घर होने के कारण मध्यांतर में भोजन करने नही जाते। जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सरकारी विद्यालय में पढ़ने को सभी बच्चों को मध्याह्न भोजन का लाभ मिलता है। एक साथ भोजन करने से उनमें मित्रता, सहयोग, समानता का भाव भी विकसित होता है। वर्तमान में लॉक डाउन के बाद से विद्यालय में मध्याह्न भोजन बंद है।
ऐसे में विद्यार्थी अब पूछने लगे हैं 'विद्यालय में खाना कब बनेगा ? इस संदर्भ में शिक्षक सुनिल कुमार ने कहा कि मध्याह्न भोजन से सभी बच्चे लाभान्वित होते हैं।कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो कृषि अथवा जीविकोपार्जन हेतु सुबह ही घर से निकल जाते होंगे ऐसे में उनके बच्चों को भोजन आदि की समस्या होती होगी।कुछ बालक-बालिका विद्यालय से दूर घर होने के कारण मध्यांतर में भोजन करने नही जाते जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों को मध्याह्न भोजन का लाभ मिलता है।एक साथ भोजन करने से उनमें मित्रता,सहयोग,समानता आदि का भाव विकसित होता है।अब स्थिति समान्य की ओर है विभाग को बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए मध्याह्न भोजन पुनः प्रारंभ करने का विचार करना चाहिए