वाल्मीकिनगर का भटका बाध मोतिहारी के पकड़ीदयाल पहुंचा, सूचना पर डीएम पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन देर शाम तक रही जारी
मोतिहारी। पूर्वी चम्पारण के पकड़ीदयाल अनुमंडल नगर पंचायत के वार्ड नं दस में मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने बाघ को देख प्रशासन को खबर दी। सूचना पर जिलाधिकारी शीर्षक कपिल अशोक अनुमंडलाधिकारी कुमार रविन्द्र, डीएसपी सुनील कुमार सिंह,प्रशिक्षु डी एस पी सुनील कुमार सिंह, दिलीप कुमार, राजीव चंद्र सिंह, अंचलाधिकारी राजेश कुमार, पुलिस इंस्पेक्टर भगत लाल मंडल सहित पताही, मधुबन, फेनहारा आदि जगहों के पुलिस पदाधिकारी स्थल पर पहुंचकर जायजा लिया।
तुरंत वन विभाग को सूचित किया। सूचना पर डीएफओ मोतिहारी प्रभाकर झा, डीएफओ बाल्मीकि नगर टाईगर रिजर्व अमरीश सहित मुजफ्फरपुर, पटना, के वन विभाग टीम पहूंच गयी है। टाइगर को पकड़ने की योजना पर कार्य शुरू हो गया है। लिहाज खबर लिखे जाने तक टाइगर का रेक्सक्यू अभियान जारी है।
गुलशन बना रेस्क्यू आपरेशन का गाइड-
बड़ा टाइगर के पल-पल की गतिविधियो की जानकारी देने के लिए स्थानीय निवासी गुलशन गाइड बना हुआ है। मक्का के खेत में टाइगर को छूप जाने के बाद लगभग छः से सात घंटे तक ताड़ के पेड़ पर चढकर खेत में सोये हुए बाघ के हरकत पर नजर बनाए हुए है। पल-पल की सूचना इशारे के माध्यम से प्रशासन को दे रहा था। जिससे बाघ को रेस्क्यू ऑपरेशन करने में काफी सहुलियत मिल रही। वहीं समाज सेवी सुबोध कुमार सिंह ने स्थानीय भौगोलिक स्थिति बताने में काफी सहयोग किया है। लगातार बारिश होने व अंधेरा होने के कारण खबर लिखे जाने तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
आज दिन में इस बाध का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इस वीडियो क्लिप में उक्त बाध एक बगीचे में दिख रहा है। जिसे बच्चे व ग्रामीण शोर मचा कर भगा रहे है और बाध भा रहा है। फिर वह बाध एक मक्के के खेत में छुप गया। आम का बगीचा के नाम डुमरवाना बगीचा है।
मौके पर मोतिहारी DFO समेत अन्य वन कर्मी मौजूद हैं। बाघ को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। भारी बारिश के कारण वन विभाग को रेस्क्यू में परेशानी हो रही है। पटना से आने वाली ट्रेन्कुलाइजर डॉट का इंतजार वन कर्मी कर रहे हैं। DFO के अनुसार, बाघ बूढ़ा है, इसलिए जंगल से निकल कर रिहायशी इलाके में आ गया है।
हालांकि, वाल्मिकिनगर टाइगर रिजर्व से बाघ करीब 150 किलोमीटर चल कर यहां तक किस रास्ते से पहुंचा है इसको भी देखा जा रहा है। बाघ एक दिन में 200 किलोमीटर तक जा सकता है। लेकिन बाघ जब बूढ़ा हो जाता है तब इतनी दूरी तय करने में दो दिन लग सकता है। उसे जब जंगल में शिकार नहीं मिल पाता है तो बाहर निकलता है। DFO के मुताबिक, नदी के किनारे बहुत शिकार बाघ को मिलता है। जिसकी वजह से वह यहां तक पहुंचा होगा।
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर लोगों को बाघ से दूर हटाने में लगी रही। वहीं पटना और वाल्मीकीनगर से आयी रेस्क्यू टीम के ट्रैंक्यूलर बंदूकधारी वन विभाग के जवानों ने बाघ के लोकेशन को ट्रेस करने मे लग गयी।