मोतिहारी।अशोक वर्मा। आजादी के बाद मोतिहारी लोकसभा की सीट कांग्रेस के कब्जे में लंबे समय तक रही। पंडित विभूति नारायण मिश्र यहां के सांसद हुआ करते थे। वे स्वतंत्रता सेनानी थे और स्वतंत्रता संग्राम में सेनानियों ने जितनी कुर्बानी दी थी और जिस प्रकार के राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना की थी उस दिशा में पंडित विभूति मिश्रा ने सांसद के रूप में अथक प्रयास किया और अपनी सेवा दी। नए राष्ट्र के निर्माण में उनका योगदान आज भी यादगार बना हुआ है।
मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र की जनता आज भी उनको याद करती है। मिश्रा के बाद इस क्षेत्र पर कांग्रेस की प्रभावती गुप्ता भी सांसद हुई फिर वामपंथी दल का कब्जा हुआ और कमला मिश्र मधुकर कई टर्म सी पी आई के सांसद रहे। राजद की रमा देवी भी यहां से सांसद रही। विभूति मिश्र के बाद एक तरह से यह सीट कांग्रेस के कब्जा से छीना गया जो आज तक छीना हुआ है।
गांधी की कर्मभूमि चंपारण जहाँ से आपातकाल के बाद हुए चुनाव में विधानसभा की कई सीटें कांग्रेस के कब्जे में रही लेकिन लोकसभा की सीट कांग्रेस के कब्जे से निकली तो आज भी निकली हुई हीं है। भाजपा के राधा मोहन सिंह के आने के बाद तो एक तरह से जो यहां एक बार कमल खिला उसके एक टर्म को छोड़ कर के लगभग लगातार खिलता ही आ रहा है। भाजपा के कमल के फूल में कांग्रेस का वोट कन्वर्ट कर गया। भाजपा के खेमे में यह सीट जाने के बाद वामपंथी दल तो यहां से एक तरह से पलायन हीं कर गए, ऐसा लगा क्योंकि किसी भी वाम दल ने लोकसभा की सीट पर लड़ने की हिममत नही की।
एक बार मोगनी कैफ़ी भी भाकपा से चुनाव लडकर बुरी तरह से हार चुके है। लंबे समय के बाद भारतीय कमयूनिस्ट पार्टी को एक मजबूत प्रत्याशी मिला जो स्वतंत्रा सेनानी के पौत्र प्रभाकर जायसवाल हैं। जायसवाल ने लंबे समय के बाद लाल झंडे से पूरे नगर को पाट दिया और उनका नामांकन जुलूस बड़ा ही प्रभावशाली निकला। सामान मुद्दा जिसमें दलित उत्पीड़न ,उपेक्षितों और कमजोर तबके के लिए लड़ाई लड़ने की बाते सभी वामदलों ने की है और समान मुद्दा को लेकर उन लोगों ने राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन भी चलाया और केंद्र में गृह मंत्री और कृषि मंत्री तक बने ,कई राज्यों में उनकी मजबूत सरकार भी बनी। लेकिन यह बड़ी अजीब बात लगती है कि सामान मुद्दा पर आज सभी वाम थल बिखरे हुए हैं।
कई राजनीतिक दल विपरीत विचारधारा के होते हुए भी सत्ता के लिए गठबंधन कर लेते हैं और सत्ता पर काबिज हो जाते हैं, लेकिन सामान मुद्दा पर लड़ने वाले विभिन्न बाम दल आज इतने बिखरे हैं कि मोतिहारी में प्रभाकर जायसवाल अनय लाल झंडो से अलग थलग पड़ते नजर आ रहे हैं।
सी पी एम, सी पी आई एम एल एवं अन्य वाम रुझान वाले दलों का भी समर्थन खुल कर के उनको नहीं मिल रहा है और इसका लाभ सीधे सीधे अन्य दल उठा रहे हैं। यद्यपि डूबते वाम दल के लिए एक वरदान बन कर के प्रभाव का जायसवाल आए हैं और एक स्वतंत्र सेनानी के सपने को साकार कयने की दिशा मे बहुत कुछ करना चाहते हैं। सेनानी की परिकल्पना को साकार करना चाहते हैं। विकास करना चाहते हैं, वे समाज सेवा को अपने जीवन का आधार मानते हैं , खेल मे जो अनुशासन और जोश एवं स्प्रिट होता है उस तेवर को राष्ट्रीय स्तर पर समाज सेवा के क्षेत्र मे कन्वर्ट करना चाहते हैं। उन्होंने खेल की दुनिया में बहुत नाम कमाया है, और जिले ही नहीं पूरे बिहार में मोतिहारी का नाम खेल जगत में स्थापित किया है।