बिहार
स्कूल-कॉलेज पेयजल व्यवस्था पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार को दो हफ्ते में जवाब देने का दिया आदेश
By Deshwani | Publish Date: 1/8/2018 1:40:14 PMपटना। बिहार के स्कूली बच्चे से लेकर कॉलेज के छात्रों तक को आर्सेनिक मुक्त पेयजल मुहैया कराने के मामले में पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। राज्य के विभिन्न जिलों में अर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह तत्व से प्रदूषित पेयजल से स्कूली और कॉकेज छात्रों को बचाने और उनको आर्सेनिक मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने हेतु दायर जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दो हफ्ते में जवाब देने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन की खंडपीठ ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की तरफ से दायर जनहित याचिका को सुनते हुए आदेश दिया। एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्वच्छ पेयजल योजना के तहत सरकार नागरिकों को आर्सेनिक जैसे जहर से मुक्त पेयजल आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2002 में ही बिहार के भोजपुर ज़िले के सिमरिया चनपटिया गांव में आर्सनिक पाया गया। साथ ही राज्य के 13 जिलों के भूगर्भ जल में आर्सेनिक, 11 जिलों में फ्लोराइड और नौ जिलों में लोहे के तत्व पाए गए हैं।
राज्य की जनता को स्वच्छ व सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के मामले में की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की।
कोर्ट को बताया गया कि राज्य में उपलब्ध पेयजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा अधिक है, जो मानव शरीर के साथ ही पशुओं और पौधों के लिए भी हानिकारक है। इस मामले पर दो सप्ताह बाद दोबारा सुनवाई की जाएगी।