पटना। प्रदेश के पांच लाख से अधिक संविदाकर्मियों को नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर नीतीश सरकार सुविधाएं देना चाहती हैं। इसको लेकर वर्ष 2015 में गठित उच्चस्तरीय समिति अपनी पूरी रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। 26 जुलाई को अंतिम बैठक होगी। इसके बाद मुख्य सचिव को समिति अपनी यह रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक संविदा कर्मियों के साथ राज्य सरकार स्थायी समझौता करेगी।
इसके बाद ऐसे कर्मचारियों की नौकरी 60 साल तक चलती रहेगी। हर साल संविदा बढ़ाने की औपचारिकता भी खत्म हो जायेगी। इसके अलावा बात-बात पर वेतन रोकने से लेकर अन्य तरह की आशंकाओं से भी कर्मचारियों को मुक्ति मिलेगी। संविदाकर्मियों के नियमतीकरण के लिए पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी थी। इस कमेटी ने कुछ ऐसी ही सिफारिशें की हैं।
संविदाकर्मियों से सरकार करेगी समझौता: जानकारों की मानें तो सभी विभागों और जिलों में सरकारी कर्मियों के रिक्त स्थायी पदों पर संविदा पर काम कर रहे कर्मियों से ही समझौता किया जायेगा। हटाने की वही प्रक्रिया होगी, जो स्थायी सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्धारित है।
खास बात यह है कि इसके साथ एक शर्त भी है. एक परीक्षा पास करनी होगी। इसमें सफल अभ्यर्थियों के साथ सरकार 60 साल का करार करेगी। असफल होने वाले पुराने मानकों पर ही काम करते रहेंगे. साथ ही 15 दिन लगातार लापता रहने पर ही निकालने का प्रावधान किया गया है।
सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर मिलेंगी सुविधाएं
संविदाकर्मियों के लिए खुशी के पिटारे से यह कम नहीं
सरकारी सेवकों की तर्ज पर लाभ देने की सिफारिश
संविदाकर्मियों को सरकारी सेवकों की तर्ज पर ही लाभ देने की सिफारिश की गयी है। ऐसे कर्मियों के नियत वेतन में बेसिक सैलरी और एचआरए समेत तमाम भत्तों का उल्लेख होगा। उम्मीद की जा रही है कि कमेटी 12 अगस्त से पहले मुख्य सचिव को अपनी सिफारिशों के साथ पूरी रिपोर्ट सौंप देगी। कमेटी का कार्यकाल 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
स्थायी सरकारी कर्मियों की तरह संविदाकर्मियों को भी अवकाश का लाभ मिलेगा। चार साल में एक बार एलटीए भी मिलेगा। कैजुअल लीव (सीएल) और अर्न लीव (ईएल) का भी लाभ ले सकेंगे। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के लिए पांच महीने की छुट्टी मिलेगी। पुरुषों को भी पिता बनने पर पितृत्व अवकाश मिलेगा।