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बिहार
दलसिंहसराय ने पेश की देश में महिला सशक्तिकरण की "मिसाल''
By Deshwani | Publish Date: 2/6/2018 9:33:12 AM
दलसिंहसराय ने पेश की देश में महिला सशक्तिकरण की "मिसाल''

दलसिंहसराय। मिथिलांचल की सुप्रसिद्ध साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था "अभिव्यक्ति" द्वारा दलसिंहसराय अनुमंडल के 36 वें स्थापना दिवस पर आयोजित "राज्यस्तरीय सर्वभाषा कवयित्री सम्मेलन" कई मायनों में अनोखा रहा। देश के साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब मंच पर किसी भी पुरुष को जगह नहीं मिली बल्कि सिर्फ महिलाओं का ही सर्वाधिकार रहा, जो अपने आप मे महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश के लिए मिसाल बना।वरिष्ठ कवयित्री सह पूर्व डाकपाल श्रीमति चित्र रेखा मुसाफ़िर ने जहाँ कार्यक्रम की अध्यक्षता की तो युवा कवयित्री सह शिक्षका समादृता समदर्शिनी एवम मीनाक्षी मीनल ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का संचालन किया जबकि उद्घाटनकर्ता के रूप में चित्ररेखा मुसाफ़िर के अलावे समाजसेवी कल्पना झा, डॉ अंजना कश्यप,विभा देवी सहित कई साहित्य व संस्कृति से जुड़ी महिलाएं ही मंच पे मौजूद थी।बिहार के कई जिलों से पंहुची कवयित्रियों ने कार्यक्रम के अंत तक लोगों को अपनी अपनी कविताओं से बांधे रखा और श्रोता भी देर शाम तक भाव विभोर होते रहे।मुज़फ्फरपुर से आईं डॉ आरती कुमारी ने "चाहे उर्दू हो या हिंदी या कोई और ज़ुबाँ,सब मुहब्बत की ज़ुबाँ है तो नफरत कैसी" सुना लोगों के बीच सामाजिक समरसता का संदेश दिया तो वैष्णवी ने "मेरा हसबेंड ऐसा हो कोई न उसके जैसा हो" सुना तालियां बटोरी।


प्रसिद्ध कवयित्री मीनाक्षी मीनल ने अपनी कविता "बेटियां घर से निकलती है,निर्भय होकर और घर लौटते लौटते बन जाती है निर्भया" से लोगों के अंतरात्मा को कचोटने पर विवश किया तो रेखा पोद्दार ने "एक पड़ोसी के मुंह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वो तो घर की नई बहुरानी थी" से गुदगुदाया।रंजना सिंह,दिव्या चौहान,सुमन कुमारी,ज्योति कुमारी,रोमा कुमारी,रिंकू शर्मा,रंजू ज्योति आदि की कविताएं भी प्रभाव डालने में सफल रही।श्रोता दीर्घा में देश के कई ख्यातिप्राप्त कलाकारों व साहित्यकारों की उपस्थिति ने महिलाओं का उत्साहवर्धन किया तो कवयित्रियाँ फूली नहीं समा रही थीं।राज्य के कई जिलों से आई कवयित्रियों ने मंच से खुले स्वर से कहा कि पहली बार ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर मिला जिसमें पुरुषों का कोई हस्तक्षेप नहीं है।


कार्यक्रम के उपरांत समस्तीपुर के उप विकास आयुक्त वरुण कुमार मिश्रा ने संस्था के संस्थापक अध्यक्ष सह मिथिलांचल के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार चाँद मुसाफ़िर के इस प्रयास को ऐतिहासिक व अविस्मरणीय बताते हुए कार्यक्रम की प्रशंसा ही नहीं कि बल्कि ऐसे कार्यक्रमों की निरंतरता बनाये रखने की भी बात कही।मौके पर एक दर्जन हिंदी,भोजपुरी व मैथिली फिल्मों के अभिनेता सह बिहार सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित कश्यप,चाँद मुसाफ़िर,अनुमंडल पदाधिकारी विष्णुदेव मंडल,उच्च विद्यालय बागवाड़ा के पूर्व प्रधान बासुकी नाथ सिंह,समाजसेवी सरोज कुमार चौधरी,सत्यनारायण सिंह,सीताराम शेरपुरी,रामविलास प्रवासी,आचार्य लक्ष्मी दास आदि भी थे।

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