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बेपटरी हुई यूपी की कानून-व्यवस्था : सुधांशु द्विवेदी
By Deshwani | Publish Date: 16/5/2017 2:16:19 PM
बेपटरी हुई यूपी की कानून-व्यवस्था : सुधांशु द्विवेदी

उत्तरप्रदेश विधानसभा सत्र के पहले ही दिन विपक्ष द्वारा खासकर कानून-व्यवस्था के मुद्दे के लेकर जिस ढंग से विधानसभा में हंगामा किया गया तथा सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई, उससे स्पष्ट है कि राज्य की निरंतर खराब होती कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने की दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की सख्त आवश्यकता है। मुद्दा चाहे किसानों का हो या फिर राज्य में लगातार बढ़ते अपराधों का। यह यूपी की भाजपा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बिना किसी किंतु-परंतु के इन विभिन्न मोर्चों पर अपनी जिम्मेदारी का प्रभावी ढंग से निर्वहन करे। भाजपा ऐसे ही मुद्दों को लेकर पूर्ववर्ती सरकार को लगातार घेरने की कोशिश करती रही है। राज्य विधानसभा में विपक्षी विधायकों के तेवर देखकर यह आसानी से कहा जा सकता है कि वह बिलकुल भी सरकार को बख्शने के मूड में नहीं हैं क्यों कि विधनसभा सत्र के पहले ही दिन जिस तरह से विधानसभा में हंगामा हुआ, उससे विपक्ष की रणनीति का अंदाजा अासानी से लगाया जा सकता है। विधानसभा में राष्ट्रगान खत्म होते ही सपा और बसपा विधायक गवर्नर राम नाइक पर कागज के टुकड़े फेंकने लगे। हंगामे के बीच ही गवर्नर ने अपना अभिभाषण पढ़ा। राम नाइक ने बाद में कहा कि पूरा यूपी देख रहा है कि विपक्ष क्या कर रहा है। विधायकों का सदन में ये व्यवहार सही नहीं है। विपक्ष का हंगामा करीब 34 मिनट चला था। बीएसपी-सपा विधायकों ने यूपी में लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर प्रोटेस्ट किया। इस दौरान वे सरकार विरोधी नारे लगाते रहे। किसानों की कर्ज माफी, गुंडाराज से मुक्ति लिखे बैनर गवर्नर को दिखाए गए। कांग्रेसी विधायकों ने लो वोल्टेज बिजली, बिजली कटौती से निजात दिलाओ और महिलाओं की सुरक्षा दिलाने के पोस्टर दिखाए। विपक्ष के नेता हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर हंगामा करते रहे और सीटी बजाते रहे। पहले विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी विधानभवन पहुंचे थे। सत्र की शुरुआत से पहले वे सपा विधायकों से मिले। मुलाकात के बाद वे सीधे कांग्रेस विधानमंडल दल के ऑफिस पहुंचे। यहां कांग्रेस के सभी विधायक मौजूद थे। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान शोरशराबे से परेशान राम नाइक भले ही विपक्षी विधायकों के हंगामेदार बर्ताव को गलत करार दें लेकिन आखिर इससे क्या हासिल होने वाला है? राज्यपाल को चाहिये कि वह सरकार को उसकी जिम्मेदारियों का एहसास कराएं क्यों कि विपक्ष का तो काम ही जन भावनाओं के अनुरूप सदन के अंदर सरकार के प्रति आक्रामक रुख अपनाने का है। विधायक विधानसभा में हंगामा कर रहे हैं तथा उनके द्वारा किसानों के मुद्दे को लेकर भी आक्रामक रुख अपनाया जा रहा है तो इससे उनकी चिंताओं को समझने की आवश्यकता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। 

किसान तो अन्नदाता हैं तथा यूपी में किसानों की बदहाली लंबे समय से चिंता का कारण बनती आयी है। किसानों के मुद्दे को लेकर राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने तथा सत्ता हासिल करने में लगातार सफल होते रहे हैं । फिर भी उनके द्वारा किसानों की दुर्दशा दूर करने की दिशा में ठोस काम या तो किये ही नहीं गये तथा यदि कुछ काम हुए भी तो उनके सकारात्मक व अपेक्षित नतीजे सामने नहीं आये। यूपी की योगी सरकार द्वारा पिछले माह किसानों की कर्ज माफी की जो घोषणा की गई हैं, विपक्ष द्वारा उसमें भेदभाव एवं किसानों के साथ धोखा किये जाने का आरोप लगाया जा रहा है। अब राज्य की भाजपा सरकार द्वारा इस मुद्दे पर सफाई के तौर पर चाहे जो भी तर्क दिये जाएं लेकिन प्रदेश के किसानों-आम लोगों को जमीनी स्तर पर सार्थक नतीजे सामने आते हुए तो दिखाई देने ही चाहिये। साथ ही राज्य की कानून-व्यवस्था अचानक ध्वस्त हो जाने से राज्य सरकार को अब तीखे सवालों के दौर से गुजरना पड़ेगा। राज्य में दलितों पर बढ़ते अत्याचार, हत्या जैसी जघन्य आपराधिक वारदातों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी से स्पष्ट है कि सरकार को कागजी खानापूर्ति से परहेज करते हुए धरातल पर ठोस काम करना होगा। विपक्ष में रहकर भाजपा जिन मुद्दों के आधार पर पहले सरकार को घेरती आई है अब उन मुद्दों के प्रभावी समाधान की जिम्मेदारी उसकी प्रदेश सरकार को निभानी होगी।

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