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सऊदी अरब में सफलता की कहानियां गढ़ रहे हैं भारतीय
By Deshwani | Publish Date: 5/5/2017 2:58:01 PM
सऊदी अरब में सफलता की कहानियां गढ़ रहे हैं भारतीय

सऊद एम. अल सती 

आईपीएन/आईएएनएस। सऊदी अरब और भारत के लोगों को एक सूत्र में बांधने में अर्थव्यवस्था, संस्कृति और मानवीय जुड़ाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग विश्व के सबसे पुराने और सबसे बेहतर सहयोगों में से एक है। यह इतना पुराना है कि इसकी जड़ें ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी में पाई जाती हैं। दोनों देशों के लोगों का एक-दूसरे के यहां प्राचीन समय से ही आना-जाना लगा रहा है।
भारत पिछले कई दशकों से अपने यहां रहने, व्यापार करने या पढ़ाई करने आए अरब देशों के लोगों का स्वागत करता रहा है। मैंने पिछले कई वर्षो से भारत में सऊदी अरब के राजदूत के रूप में सेवाएं दी हैं। मैंने इस दौरान भारत और सऊदी अरब के लोगों के बीच जुड़ाव के कई पहलुओं को जाना है। मैंने अरब के देशों से गुजरात, मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद में पढ़ाई और कारोबार करने आए लोगों के अनुभवों को जाना है। इसमें कोई ताज्जुब नहीं है कि सऊदी अरब और अरब जगत में ’अल-हिंद’ (भारत) नाम बहुत आम है। अरब देशों में आने वाले कई भारतीय उत्पादों का नाम उनके उद्गम स्थलों के नाम पर रखा गया है। अरब के देशों में लोकप्रिय भारतीय तलवारों को हिंदी, हिंदवानी और मुहन्नाद के नाम से जाना जाता है।
स्पष्ट रूप से सऊदी अरब और भारत की संस्कृति और लोगों के बीच जुड़ाव का साझा इतिहास रहा है। मौजूदा सदी की शुरुआत में लगभग 15 लाख भारतीय, सऊदी अरब में रह रहे थे या काम करते थे। अब यह संख्या बढ़कर 30 लाख के पार जा चुकी है। सऊदी अरब में डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी पेशेवर, कामगार, अकादमी सदस्य, वैज्ञानिक और केमिस्ट भारतीय समुदाय का हिस्सा हैं। ये लोग लगभग सभी आर्थिक क्षेत्रों में मेहनत से काम कर खुद को स्थापित कर रहे हैं। हम इन्हें साझेदार के रूप में देखते हैं। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण रवि पिल्लई हैं। पिल्लई 70 के दशक में सऊदी अरब पहुंचे और तब से उन्होंने निर्माण, हॉस्पिटैलिटी, शिक्षा और खुदरा सहित कई क्षेत्रों में खुद को सबसे सफल कारोबारी के रूप में स्थापित किया है। उनके कारोबार के जरिए आज 70,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
इस उदाहरण को देखिएः एक अरबपति उद्योगपति जिसके इस क्षेत्र में कई अस्पताल हैं, एक दूरदर्शी चिकित्सक, खुदरा कारोबार से जुड़ा अरबपति, एक सफल निवेश बैंकर; इन सभी में एक बात समान है और वह यह कि ये सभी भारतीय हैं जिन्होंने सऊदी अरब में अपनी किस्मत आजमाई और सफल हुए।
सऊदी अरब में भारतीयों की सफलता की कहानियां अपवाद नहीं हैं। इन लोगों को शैक्षणिक एवं तकनीकी उपलब्धियों, ईमानदारी और अनुशासन की भावना और काम के प्रति निष्ठा की वजह से सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। आर्थिक विकास में भारतीयों के योगदान को हमारी सरकारी ने पहचाना है और हमने उन्हें अपनत्व का माहौल मुहैया कराने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों की अत्याधुनिक सुविधाओं तक पहुंच है, इनके बच्चे अपनी पसंद की शिक्षा हासिल कर सकते हैं।
हमने यह सुनिश्चित किया है कि सऊदी अरब आने वाले लोग अपनी समस्याओं के निवारण के लिए निवारण प्रणाली का इस्तेमाल कर सकें। कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी किया गया है कि किसी भी अनुबंध की जानकारी साफतौर पर नियोक्ताओं द्वारा बताई जाए। सऊदी अरब सभी प्रवासियों को पूर्ण कानूनी सुरक्षा मुहैया कराता है जिसमें एकीकृत श्रम अनुबंध भी शामिल है। श्रम कानून की धारा 61 में नियोक्ताओं द्वारा अपने कर्मचारियों को सम्मान देने और ऐसे किसी भी तरह की गतिविधि से दूर रहने को कहा गया है जिससे कर्मचारियोंकी प्रतिष्ठा या उनके धर्म को ठेस पहुंचे।
इसके साथ ही कर्मचारियों का बिना वेतन काटे उन्हें अपने अधिकारों का उपयोग करने देने के भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। धारा 101 में प्रावधान है कि कोई भी कर्मचारी कम से कम 30 मिनट के ब्रेक के बिना लगातार पांच घंटे से अधिक काम नहीं करेगा।
हमारा उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है। उदाहरण के लिए, श्रम एवं सामाजिक विकास मंत्रालय ने 23 अप्रैल, 2017 को ऐलान किया कि वे देश में घरेलू कामगारों के लिए बैंक खाते खोलेंगे। सभी घरेलू कामगारों को समय पर वेतन मिलने के मद्देनजर उठाया गया। इस कदम के जरिए रोजगार सुरक्षा में भी सुधार होगा क्योंकि नियोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अपने अनुबंधों को पंजीकृत कराना होगा।
सऊदी अरब में नोटिस अवधि के दौरान काम कर रहे कर्मचारियों के लिए सर्वाधिक लाभप्रद कॉरपोरेट नीतियां हैं। इस तरह की स्थिति में इन कर्मचारियों को हर सप्ताह आठ घंटे या प्रति सप्ताह एक दिन अवकाश देना होता है ताकि वह दूसरा काम ढूंढ सकें।
सऊदी अरब में मानव तस्करी रोकने के लिए सख्त कानून हैं। 2009 में जारी शाही आदेशपत्र में कहा गया था कि इस तरह की तस्करी में लिप्त शख्स को कारावास या फिर भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। इस कानून को पिछले साल मानव तस्करी रोधी दिवस (नौ अगस्त) से पहले और कड़ा किया गया। गृह मंत्रालय ने मानव तस्करी के संबंध में एक आदेश जारी किया था जिसके तहत सभी के साथ मिलकर काम करने की जरूरत और महत्व पर जोर दिया गया था ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
इस्लामिक सिद्धांत कहता है ’लोगों के साथ वैसा बर्ताव करो जैसा तुम खुद अपने लिए चाहते हो।’ भारत में भी ऐसी ही एक बात हितोप्देश में कही गई है कि ’किसी के साथ आपको उसी तरह का बर्ताव करना चाहिए जैसा आप खुद के साथ होने की अपेक्षा रखते हैं।’ यह सिद्धांत और दोस्ती का बंधन जिंदगी में कई बार प्रयोग में आया है। इसी तरह का एक उदाहरण मेरे दिमाग में आता है कि एक भारतीय सऊदी अरब में काम करता था, उसे किसी तीसरे देश में किसी से झगड़ा करने पर दो महीने जेल की सजा हुई। उसके माता-पिता ने सऊदी अरब में बेटे के नियोक्ता से मदद मांगी। उन्होंने (नियोक्ता ने) तुरंत उसे जेल से निकालने के सभी प्रबंध कर दिए। यह दोनों देशों के बीच की दोस्ती और सद्भावना को दर्शाने के उदाहरणों में से सिर्फ एक उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अप्रैल 2016 में सऊदी अरब की यात्रा के दौरान सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए एक द्विपक्षीय श्रम सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। दोनों देश कर्मचारियों की स्थिति में सुधार के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं। सऊदी अरब और भारत के बीच 2014 के बीच घरेलू सेवा कर्मचारी नियुक्ति के लिए श्रम सहयोग समझौता हुआ था। इसके अलावा, 2014 में दोनों सरकारों ने द्विपक्षीय समझौता किया था जिसके तहत कैदियों को उनकी इच्छा होने पर उनके देश में सजा काटने का विकल्प दिया जाता है।
हाल ही में सऊदी अरब में एक समाचार पत्र की सुर्खी पर नजर पड़ी। सऊदी अरब में एक नियोक्ता ने अपनी एक महिला कर्मचारी की शादी की रिसेप्शन पार्टी दी और यहां तक कि उसके हनीमून पैकेज का भी खुद भुगतान किया। इस तरह की कहानियां हमारे देश में दुर्लभ नहीं हैं, सऊदी अरब में नियोक्ता अपने मेहनती और काम को लेकर दृढ़संकल्पित कर्मचारियों की सराहना करते हैं।
मेहनत कभी जाया नहीं जाती। इसका उचित पुरस्कार मिलता ही है। यह बात सऊदी अरब पहुंच रहे हमारे भारतीय मेहमानों पर भी सटीक बैठती है जो सऊदी अरब आकर यहां के लोगों के साथ घुल-मिल गए हैं और सहयोग तथा विकास की यात्रा में हमें सहयोग दे रहे हैं।

(सऊद एम. अल सती भारत में सऊदी अरब के राजदूत हैं। लेख में व्यक्त विचार उनके अपने हैं)
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