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सावन के सोमवार से भक्तों का बेड़ापार
By Deshwani | Publish Date: 29/7/2019 3:39:59 PM
सावन के सोमवार से भक्तों का बेड़ापार

नई दिल्ली संगीता कुमारी। प्रेम ही जीवन की बुनियाद है। ‘प्रकृति’ शिव-शक्ति के मिलन से बनी सुंदर कृति है। आदि देव की जब बात होती है तब शिव व शक्ति के प्रेम की बात होती है। ‘शिव’ भोले भंडारी, ‘शक्ति’ पार्वती माँ। इस प्रकृति के सृजन में जल की अहम भूमिका है। कहते हैं ना! जल बिन जीवन नहीं। जब पूरी धरती अगन से जल रही होती है तब सावन की ऋतु पृथ्वी को शीतलता पहुँचाती है। सावन के महीने को जल का महीना भी कहा जा सकता है। सावन के महीने में ही भूमिगत जीभरकर जल की आपूर्ति होती है। 

 
 भक्तों द्द्वारा शिव लिंग पर जल चढ़ाया जाता है। शिव के रौद्र रूप का पूजन कर शांत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माँ पार्वती जी ने सबसे पहली बार शिव की पूजा अराधना की थी। तपस्या करके शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। तब से सभी मानव जाति द्द्वारा शिव की अराधना की जाती है। 
  
लिंग पूजन में प्रकृति सृजन के आठ तत्त्वों ‘नीर, समीर, अग्नि, ध्वनि, सूर्य, चंद्र, धरा, पर्वत ’ का सम्मिश्रण होने के कारण इसका महत्त्व बहुत अधिक हो जाता है। हमारे पौराणिक कथाओं में शिव की अनेक कथायें का उल्लेख किया गया है। इसलिये इसकी मान्यता बहुत है। काबड़ यात्रा करते हुए अनेक यात्री नंगे पाँव भी मीलों यात्रा करते हैं। भक्ति से भरे शिव भक्त अपने शरीर को पूजन की राख विभत्स रूप देते हुए लिंग पर जल चढ़ाने जाते हैं। अधिकांश लोगों का विश्वास है सावन के सोमवार से भक्तों का बेडापार हो जाता है। आस्था और विश्वास पत्थर को भी भगवान बना देते हैं। फिर शिव जी तो साक्षात आदि शक्ति हैं जिनका अंश सभी स्त्री पूरुष में विधमान है।  
 
सावन का मौसम प्रेम और पूजा का मौसम कहलाता है। यह मौसम जीव की उत्पत्ति का मौसम कहलाता है। जिन दम्पत्तियों को संतान नहीं होती है वो इस सावन के सोमवार का व्रत भक्तिभाव से रखते हैं। पूरे माह शिवलिंग की सुबह शाम मंत्रोचारण के साथ पूजन करके शिव या शक्ति के रूप में संतान की प्राप्ति करते हैं। कुँवारी कन्यायें माँ पार्वती का आशिर्वाद प्राप्त करके शिवलिंग की पूजा करती हैं। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घाऊ व परिवार की सुख शांति के लिये व्रत करती हैं। पुरूष अपने वंश की सुरक्षा व शक्ति सम्पन्नता के लिये भोले भंडारी से आशिर्वाद लेते हैं। भोले बाबा सबकी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं इसलिये जिसको को चाहिये वो सब सच्चे मन से पूजन करके प्राप्त किया जा सकता है। 
 
 
यह कोई जरूरी नहीं कि मंदिर में जाकर ही जल चढ़ाया जाये। है। बहुत से लोग अपनी दिनचर्या की व्यस्तता के कारण नित मंदिर नहीं जा सकते वो लोग घर में भी पूजा कर सकते हैं। अपने घर के आंगन में माटी से स्वयं शिवलिंग बनाकर या बाजार से बना बनाया खरीदकर स्थापित कर सकते हैं। स्थापित करने के लिये उसे कच्चे दूध में गंगा जल मिलाकर पुष्प के साथ मंत्रोचारण करते हुए बिठाया जाता है। दिल से की गयी भक्ति में इतनी शक्ति होती है कि वह ईश्वर तक अपना संदेश अवश्य पहुँचा देती है। ऊँ हर हर महादेव!!...
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