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उच्च सदन के लिए निम्न खेल...
By Deshwani | Publish Date: 16/4/2018 9:29:02 AM
उच्च सदन के लिए निम्न खेल...

धीरेंद्र कुमार

जब भी राज्यसभा और विधान परिषद के लिए चुनाव होता है..राजनीतिक फिजाओं में चर्चा तेज हो जाती है कि पार्टी ने सीट पूंजीपति की झोली में डाल दी...बिहार में आज फिर कुछ ऐसी ही चर्चा तेज है...जद यू ने अपने खाते से विधानपरिषद जाने वाले तीनों नामों का खुलासा कर दिया है..पहला नाम तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का ही है...लेकिन दूसरा और तीसरा नाम चौकाने वाला है...पार्टी ने रामेश्वर महतो के साथ एक अल्पसंख्यक (पसमंदा) चेहरा खालिद अनवर को विधानपरिषद भेजना तय किया है...जद यू की राजनीति को अंदर से जानने वाले भी खालिद अनवर के बारे में ज्यादा नहीं जानते..खासकर वैसे लोगों को तो इनके बारे में बिल्कुल ही जानकारी नहीं होगी जो पार्टी को 1994 या 1999 से जान रहे हैं या पार्टि में मेहनत कर रहे हैं...कारण साफ है...खालिद जी कि सक्रिय राजनीतिक शुरूआत मुश्किल से ढाई तीन साल पुरानी है...लगता है कि आपलोग खालिद जी को अभी भी नहीं पहचान रहे हैं...अरे भाई रविवार को पटना के गांधी मैदान में नीतीश कुमार के समर्थन में हुए अल्पसंख्यक सम्मेलन (दीन बचाओ-देश बचाओ) के शिल्पकार खालिद भाई ही तो हैं/थे...मोतिहारी जिला का रहने वाला अल्पसंख्यक पसमंदा समाज का यह नायक जब अरब देश से अकूत संपत्ति कमा कर बिहार लौटा तो इनके अंदर राजनीतिक हसरतें कुलाचें भरने लगी..लालू के यहां भी दरबारी किए..लेकिन 2015 के बाद ताकतवर हुए लालू के दरबार में इतनी भीड़ थी कि हुजूर को बैठने के लिए कुर्सी ही नहीं मिली...इधर केंद्र से रिश्ता जोड़ने के बाद भी कुछ कमजोरी महसूस करने वाले नीतीश को एक पसमंदा मुसलमान की सख्त आवश्यकता थी....क्योंकि अली अनवर जी लगातार इनकी छवि को पसमंदा समाज के बीच कमजोर करने रहे थे..दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल होने के बावजूद पार्टी के लिए धन की भी कुछ कमी सी महसूस हो रही थी...लोकसभा चुनाव अब मुंह पर है...लिहाजा नीतीश बाबू ने खालिद को अपने दरवाजे से खाली नहीं लौटने दिया...जानकार बताते हैं कि खालिद जी ने आजतक जद यू की प्राथमिक सदस्यता भी ग्रहण नहीं की है...लेकिन टिकट मिला और नीतीश के लिए हर किसी को दुत्कारने और गलियाने वाले संजय सिंह माथा नोचते रह गये...

अब दूसरे उम्मीदवार के बारे में जानिए....रामेश्वर महतो...लेकिन इनके बारे में जानने से पहले इस बात को समझ लीजिए कि बिहार की जातिगत राजनीति में इस वक्त किसी जाति को बिना मांगे कुछ मिल रहा है तो उस जाति का नाम है कुशवाहा...आज हर दल इस जाति को अपनी ओर खींचने में लगा है...महतो जी का दिल्ली NCR में बड़ा कारोबार है...चीनी मिट्टी के बर्तन से लेकर आलिशान सा भी कुछ बनाते हैं...दिल्ली में आने वाले जद यू नेताओं का सेवा भाव भी करते रहे हैं...हालांकि पार्टी में कुछेक साल से सक्रिय हैं और पार्टी के हर बड़े नेता के घर पार्टी मार्का (तीर छाप) कप प्लेट पहुंचाते रहे हैं...इस बार बड़े नेता के यहां कप प्लेट में कुछ शक्कर और दूध भी डाल आए थे...नतीजा पार्टी ने इनको इनकी ईच्छा के अनुरूप राज्य के ऊपरी सदन में डाल दिया...हाथ मलने वालों में चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी से लेकर अरूण मांझी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी जैसे दिग्गज का नाम लिया जा सकता है..दरअसल कॉरपोरेट पॉलिटिक्स का सबसे स्याह पक्ष यही है...पैर दबाने वाला पैर के नीचे ही रह जाता है..और गला तक हाथ पहुंचाने वाला ‘हार’ लेकर निकल जाता है...                  .

अब जरा गौर कीजिए भाजपा पर...

भाजपा की ओर से बिहार विधानपरिषद के लिए जिन तीन नामों पर मुहर लगा है उन नामों में पार्टी के लिए पर्याय बन चुके सुशील मोदी के अलावा राज्य सरकार में मंत्री मंगल पाण्डेय और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान का नाम शामिल है...तीसरा नाम ही नया है और बहुत कुछ बता रहा है...दरअसल बिहार भाजपा की राजनीति पर पैनी नजर रखना वाला हर शख्स इस सच से वाकिफ है कि केंद्रीय नेतृत्व लंबे समय से बिहार भाजपा को सुशील कुमार मोदी के चंगुल से मुक्त करना चाह रहा है...इस कड़ी में जिम्मेदारी तो कई को मिली लेकिन कोई सफल नहीं हो सका...नया नाम प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय का है...राय साहब केंद्रीय नेतृत्व की भावना का आदर करते हुए अपने पहले ही दिन से छोटका  मोदी को छोटा करने के मिशन में लग गये...हाल के दिनों में हुए उपचुनाव में भी इन्होंने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया में भी छोटका मोदी को छोटा कर दिया था....हालांकि इनके उम्मीदवार दो जगहों में से एक जगह से हारने में सफल रहे फिर भी नित्यानंद राय हार से विचलित हुए बगैर..सुशील के शील को कम करने में मशगूल रहे..जानकारी तो इस हद तक है कि...तीसरी बार सुशील मोदी को जब विधानपरिषद में जाना था तो नित्यानंद राय ने पूरी ताकत से ब्रेक लगा दिया..तर्क भी सॉलिड था...सुशील मोदी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते लिहाजा कार्यकर्ता मुझे सुना जाते हैं...इसलिए केंद्रीय नेतृत्व अब सुशील मोदी का ब्रेक डाउन कर दे....लेकिन अतीत का पुण्य इसबार सुशील मोदी को उच्च सदन तो पहुंचा दिया..साथ ही कमजोर होती अपनी स्थिति का अहसास भी करा दिया...गौरतलब है कि नित्यानंद राय का घर हाजीपुर में पड़ता है..हाजीपुर से सांसद हैं रामविलास पासवान...राय को उनके घर में ही कमजोर करने के लिए छोटका मोदी के ह्रदय में राम विलास जी के लिए प्रेम जाग गया...राम विलास जी के साथ मंच साझा करने से लेकर राम विलास जी के लिए मंच से ही छोटका मोदी ने जयकारा भी किया...आनंद में राजनीति कर रहे नित्यानंद को इस राजनीति की भनक लग गई...लिहाजा सुशील मोदी का काट और पुराना भाजापा का पढ़ा लिखा दलित चेहरा संजय पासवान को आगे कर दिया....जीतन राम मांझी द्वारा एनडीए छोड़ने के बाद बिहार में एनडीए को एक ऐसे दलित चेहरे की आवश्यकता थी..जो पार्टी से अलग भी अपना आधार और अपनी पहचान रखता हो..संजय पासवान इस खांचे में बिल्कुल सटीक बैठे...इनकी दलितों के बीच बौद्धिक औऱ सकारात्मक राजनीति करने की पहचान है...पूरे साल दलित जागरण के लिए अलग-अलग मंच से संजय जी कार्यक्रम चलाते रहते हैं...साथ ही दलित-सवर्ण गठजोड़ पर भी इनका जोर रहता है...लिहाजा नित्यानंद राय खेमा को ऐसा लग रहा है कि संजय की आंखों से ही अब घर के विरोधी खेमा पर निशाना साधा जाए..जिस हाउस के मेंबर सुशील मोदी हैं उसी हाउस में नित्यानंद राय ने मोदी को घेरने के लिए संजय को पहुंचा दिया...लेकिन लाख टके का सवाल है कि, क्या संजय खुद गांडीव उठाकर रणक्षेत्र में कुछ कलाबाजी दिखाएगा या फिर महाभारतकालीन संजय की तरह सिर्फ और सिर्फ आंखो देखा हाल ही सुना कर अपनी भूमिका की इति श्री कर लेगा...

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