सुपौल
ठंड से प्रभावित हो रहा है पौधों का विकास
By Deshwani | Publish Date: 19/1/2018 3:21:17 PM
निर्मली/सुपौल (हि.स.)| ठंड के करण मानव, पशु, पक्षी, जीव-जंतु तो परेशान हैं ही, इस मौसम में पेड़-पौधे भी प्रभावित हो रहे हैं। अत्यधिक ठंड एवं धूप नहीं निकलने के कारण पौधों का विकास रुक गया हैं। साग-शब्जी की फसल का विकास रुकने से सब्जी का उत्पादन प्रभावित हुआ हैं। इससे बाजार में सब्जी के दाम बढ़ने लगे हैं। सबसे अधिक ठंड का प्रभाव आलू, टमाटर, मटर आदि के पौधों पर पड़ रहा हैं, जबकि गेहूं के फसल को ठंड से लाभ हुआ है। धूप नहीं निकलने से गेहूं के पौधे का विकास थमा है ।
तापमान बढ़ने से बढ़ेगा कीड़ा का प्रभाव : तापमान जैसे-जैसे बढ़ेगा फसलों पर कीड़ा का प्रकोप बढ़ जाएगा। सरसों ,तोड़ी सहित अन्य तिलहन की फसल पर लाही का प्रकोप बढ़ने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ेगी। ऐसी स्थिति से बचने के लिए किसानों को तैयार रहने का समय आ गया हैं । तापमान बढ़ने से कीड़ा का प्रकोप बढ़ते ही दलहन, तिलहन सहित साग-शब्जी की फसल ही नहीं आम और लीची की फसल प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती हैं। ऐसे में उत्पादन को प्रभावित होने से बचने के लिए जागरुकता जरूरी हैं ।
फसलों को बचाने के लिए खेत में रखें नमी : बढ़ रहे ठंड के प्रभाव से फसल को बचाने के लिए कृषि कॉर्डिनेटर धर्मेंद्र कुमार और बीएओ मनोज कुमार ने कई सुझाव दिए हैं । उन्होंने समय पर दवा का छिड़काव करने की बात किसानों को कही है । आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव को आवश्यक बताया। उन्होंने बताया कि फसल लगी खेतों में नमी रहना आवश्यक है । नमी की कमी के कारण फसलों पर ठंड का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में किसानों को ठंड के समय खेतों में नमी बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए ।
बचाव के लिए फसलों पर छिड़काव जरूरी : सरसों सहित अन्य तिलहन एवं दलहन की फसल पर लाही का प्रकोप होने से समय पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करना जरूरी होगा । लाही कीट के प्रकोप से फूल, फल ही नहीं तिलहन, दलहन एवं सब्जी के पौधे की डाली ,पत्ते भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं । इससे उत्पादन प्रभावित होता हैं । बीएओ मनोज कुमार ने किसानों को अपनी फसल को बचाए रखने के लिए समय पर दवा के छिड़काव का सुझाव दिया है। उन्होंने लाही कीट से बचने के लिए मेटासिसटैक एक से डेढ़ एमएल दवा प्रति लीटर पानी मे मिला कर पौधों पर छिड़काव करने की बात किसानों को कही है।