समस्तीपुर :प्रत्येक अवस्था में प्रसन्न रहने वाला ही श्रीकृष्ण के मित्रता को प्राप्त कर सकता
समस्तीपुर। उमेश काश्यप। वृंदावन से आये योगेश प्रभाकर जी महाराज ने काशीपुर संस्कारम परिसर में भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र प्रसंग को सुनाया गया।
उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण सुदामा प्रसंग को कहते हुये उन्होंने कहा कि समकक्ष की मित्रता स्वार्थ के ऊपर आधारित होती है। प्रत्येक साधक कृष्ण से मित्रता कर सकता है। इसके लिये चार कार्यों को करने की जरुरत है। इसमें ब्रह्म को जानने की ललक, विरक्ती, इंद्रियों पर संयम, प्रत्येक अवस्था में प्रसन्न रहने वाला ही श्रीकृष्ण के मित्रता को प्राप्त कर सकता है। सरस्वती मूर्ति विसर्जन के नाम पर पिछले कुछ वर्षों से फुहड़ता देखने को मिल रहा है। यह सनातनी संस्कृति पर बहुत बड़ा कुठाराघात है। सरस्वती मां भी है। आश्चर्य है, वह किनके बच्चे हैं, जो मां को प्रमाण भी करते हैं और अश्लील गीतों पर अश्लिल हरकतें व नृत्य भी करते हैं। इसे रोकने की आवश्यकता है। योगेश प्रभाकर महाराज ने कहा कि आज के युवा शक्ति को मोबाइल कल्चर से बचने की जरुरत है।
मोबाइल से निकलने वाला रेज एकाग्रता को नष्ट कर नपुंसकता को प्रदान करती है। मोबाइल कल्चर ने पारिवारिक भाई चारे के कल्चर को समाप्त कर दिया है। कृष्ण के पुत्र भी संतों का अपमान करते थे। इसकी सूचना मिलने पर श्रीकृष्ण ने भी अपने पुत्रों को समझाया कि व्यक्ति के बिगड़ने के चार साधन हैं। रुप, यौवन, संपत्ति व प्रभुत्व का होना एवं विवेक का ना होना, बिगड़ने का कारण है। विवेक की प्राप्ति सतसंगति से मिलती है। कृष्ण के पुत्रों ने उनकी बात ना मानी और संतो का अपमान करते रहे। जिसके कारण संतों ने यदुकुल के नाश होने का श्राप दे दिया गया और श्रीकृष्ण चले गये।
योगेश प्रभाकर महाराज ने कहा कि भारत वर्ष के माथे पर गौ हत्या कलंक का टीका लगा है। गौवध होते समय होने वाली चित्कार से ही प्राकृतिक घटनाएं अतिवृष्टि, आकाल, सुनामी, भूकंप, व्यभिचार की स्थिति बढ़ती जा रही है। गो हत्या रोकने की आवश्यकता है। कथा के अंत में परिक्षित के मोक्ष के साथ कक्षा का विश्राम दिया गया। भारतीय संस्कृति पर हो रही कुठाराघात के लिये दोषी भारतीय समाज ही है। शिक्षित होना एवं ज्ञानवान होना दोनों अलग-अलग बात है। वर्तमान समय में लोग बच्चों को शिक्षित तो बना रहे हैं, लेकिन उनमें ज्ञान का आभाव है। आदर व सम्मान करना भूलते जा रहे हैं।