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रांची
जेपीएससी कार्यालय का घेराव करने जा रहे छात्रों को पुलिस ने रोका
By Deshwani | Publish Date: 17/1/2018 7:25:15 PM
जेपीएससी कार्यालय का घेराव करने जा रहे छात्रों को पुलिस ने रोका

रांची (हि.स.)। छठवीं जेपीएससी (झारखंड लोक सेवा आयोग) परीक्षा में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने के विरोध में आदिवासी छात्र संघ सहित विभिन्न छात्र संगठनों के सैकड़ों विद्यार्थी जेपीएससी कार्यालय का घेराव करने निकले थे। लेकिन छात्रों को कचहरी चौक के पास बीच में रोक लिया गया। संघ के रांची विश्वविद्यालय समिति के अध्यक्ष संजय महली के नेतृत्व में पहुंचे छात्रों ने सरकार विरोधी जमकर नारेबाजी की। इससे पूर्व सैकड़ों की संख्या में मोरहाबादी स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष पहुंचे छात्रों ने जमकर नारेबाजी की। वहीं कचहरी चौक पर छात्रों को रोकने के विरोध में कुछ छात्रों के साथ पुलिस की हाथापाई भी हुई। इस दौरान 10 छात्रों को हिरासत में भी लिया गया, जिन्हें देर शाम रिहा कर दिया गया।

वहीं जेपीएससी कार्यालय के घेराव की सूचना पूर्व से जिला प्रशासन को थी। इस कारण जेपीएससी कार्यालय और मोरहाबादी मैदान में दर्जनों की संख्या में जिला पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं हो। इसके अलावा कोतवाली डीएसपी भोला प्रसाद सिंह, इंस्पेक्टर श्यामानंद मंडल सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी भी वहां मौजूद थे। संजय महली ने बताया कि पुलिस ने छात्राओं के साथ हाथापाई भी की और छात्राओं पर लाठी भी चार्ज किया है, जिससे एक दो छात्राओं को चोटें भी आयी है। संजय महली ने कहा कि जेपीएससी के चयेरमैन तत्काल इस्तीफा दें। अगर सरकार आरक्षण के नियमों का पाल नहीं कर पा रही है, तो झारखंड को बिहार में विलय कर ले। छठवीं सिविल सेवा परीक्षा के विज्ञापन में स्पष्ट कहा गया है कि आरक्षण के नियमों का पालन किया जायेगा। तथा प्रारंभिक परीक्षा में कोटिवार रिक्तियों का 15 गुना ही रिजल्ट दिया जायेगा। लेकिन जेपीएससी ने पीटी के रिजल्ट में विज्ञापन में उल्लेखित आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि बिहार में अभी भी पीटी परीक्षा में आरक्षण दिया जाता है। जबकि जेपीएससी ने बिना किसी सरकारी आदेश के इसे समाप्त कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश है कि एक बार परीक्षा की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाने के बाद बीच में विज्ञापन में संशोधन नहीं लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जेपीएससी द्वारा बार-बार कहा जा रहा है कि छठवीं सिविल प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में जारी किया गया है। जबकि हाईकोर्ट ने लक्ष्मण टोप्पो वाद में प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने या न देने का कोई आदेश ही पारित नहीं किया है। प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देना या न देना सरकार का विषय है। उन्होंने मांग किया कि झारखंड लोक सेवा आयोग छठवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) के संशोधित परिणाम को रद्द करते हुए नये सिरे से सरकार के आरक्षण नियमों का पालन करते हुए विज्ञापन में उल्लेखित 15 गुना रिजल्ट जारी किया जाये।
 

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