झारखंड
रैयतदारों को जमीन का वाजिब हक मिले : बाबूलाल मरांडी
By Deshwani | Publish Date: 5/8/2017 7:09:33 PMरांची, (हि.स.)। झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि संथाल परगना टेनेन्सी एक्ट की कुछ विसंगतियों को दूर करने को लेकर सरकार से आग्रह किया है । उन्होंने कहा कि उद्योगपति संथाल परगना के मूल रैयतों की अधिग्रहित भूमि की खरीद-फरोख्त कर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं जबकि मूल रैयतों से यह भूमि मात्र 3,182 रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिग्रहित की जाती ।
पूर्व सीएम बाबूलाल ने शनिवार को यहां प्रेसवार्ता में कहा कि देवघर में डाबर कंपनी को दिये गए जमीन का हवाला देते हुए कहा कि देवघर-जसीडीह के पास डावर कंपनी ने 1943-44 में 15.39 एकड़ भूमि मूल रैयतों से अधिग्रहित कर आयुर्वेदिक दवा कारखाना लगाने एवं सम्बद्ध कार्य के लिए ली थी । कम्पनी ने उस जमीन पर अपना कारखाना लगाया और कई दशक तक चलाते रहे मगर 12-13 वर्ष पहले यह कारखाना बंद हो गया । कारखाना बंद होने के बाद डाबर कंपनी ने वर्ष 2004 मे आस-पास की इस भूमि को निर्भय कुमार शाहाबादी एवं अन्य को करोड़ों रुपये में बेचने का फैसला किया तथा बिक्री की डीड बनाकर उसे निबंधन के लिए निबंधन कार्यालय में प्रस्तुत किया इस डीड को तत्कालिन उपायुक्त देवघर ने रोक लगा दी, जिसके विरुद्ध निर्भय कुमार झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायक की जिसमे यह मांग की गयी कि उनकी क्रय पत्र को निबंधन करने का आदेश निर्गत किया जाए ।
उन्होंने कहा कि इस याचिका पर वर्ष 2013 में उच्च न्यायालय रांची ने फैसला सुनाते हुए कहा कि डाबर की जमीन है वह किसी को भी बेच सकती है ,लेकिन सरकार इस तरह का कानून लाए कि अधिग्रहित भूमि जो रैयतों से ली गई थी कौड़ी के भाव में उसका अंश उसे भी प्राप्त हो । झाविमो अध्यक्ष ने इस फैसले पर प्रदेश सरकार को अनुसरन करने का आग्रह किया है ताकि रैयतदारों को इसका लाभ मिल सके ।