झारखंड
एक्ट में संशोधन को लेकर बन रहा है नया ड्राफ्ट
By Deshwani | Publish Date: 19/7/2017 5:35:54 PM
रांची, (हि.स.)। झारखंड सरकार छोटानागपुर काश्तकारी कानून (सीएनटी), 1908 और संथाल परगना काश्तकारी कानून (एसपीटी), 1949 में संशोधन को लेकर अब नये सिरे से ड्राफ्ट तैयार कर रही है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार नये बिल से जमीन की प्रकृति बदलने संबधी सीएनटी की धारा-21 (बी) और एसपीटी की धारा-13 ए को हटा दिया गया है। जबकि मुआवजे का प्रावधान खत्म करने संबधी सीएनटी की धारा-71 (2) बरकरार है। मुआवजे के आधार पर किसी गैर आदिवासी को आदिवासी जमीन का हस्तांतरण रोकने के लिये उक्त धारा को बनाये रखने पर लगभग आम सहमति है। हालांकि मुआवजे का प्रावधान 1969 में ही खत्म कर दिया गया था, लेकिन यह किसी तरह चल रहा है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सूत्रों के अनुसार चल रहे विवादों के निपटारे के लिये बिल के नये ड्राफ्ट में अधिसूचित क्षेत्र नियमन (एसएआर) कोर्ट का प्रावधान भी रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि स्कूल, कालेज, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केन्द्र आदि के निर्माण के लिये अधिसूचित क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण संबधी मूल विधेयक में सीएनटी की धारा- 71 (2) में प्रस्तावित संशोधन जस का तस बना रहेगा। सूत्रों की माने तो आदिवासियों के लिये आदिवासी जमीन खरीदने में लगी थाने की पाबंदी हटाये जाने की भी चर्चा है। बशर्ते जनजातीय परामशदात्री परिषद (टीएसी) में इस पर सहमति बने। टीएसी की बैठक तीन अगस्त को होने वाली है। इसमें नये बिल के प्रारूप को रखा जायेगा। टीएसी की सहमति मिलने के बाद इसे कैबिनेट से मंजूर कराया जायेगा। फिर नये संशोधन बिल को सरकार विधान सभा के मानसून सत्र के दौरान पेश कर पारित कराने का प्रयास करेगी। विधान सभा का मानसून सत्र आठ अगस्त से 12 अगस्त तक निर्धारित है।