रांची, (हि.स.)। बरसात का मौसम झुलसती गर्मी से राहत तो प्रदान करता है लेकिन साथ ही कई घातक बीमारियां भी अपने साथ लाता है। यह कई बीमारियों को आमंत्रित करने का मौसम होता है, क्योंकि इस मौसम में बारिश से कई स्थानों पर जलजमाव, कीचड़ व गंदगी से पैदा होने वाले मच्छर और बैक्टीरिया बीमारियां फैलाते हैं।
बारिश का मौसम एक ओर जहां अपने साथ हरियाली और खुशगवार मौसम लाता है। वहीं इसके साथ ही कई तरह की बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। दूषित पानी और भोजन के कारण वायरल बुखार, जॉन्डिस, मियादी बुखार (टायफाइड) तथा पेट संबंधी पेचिश जैसी बीमारियां के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। सामान्य लक्षण वाली बीमारियां भी कभी-कभी भारी परेशानियां अपने साथ लाती हैं। बारिश के इस मौसम में हमारे शरीर को इतनी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है कि शरीर में अतिरिक्त प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो सके।
जेनरल फीजिशएन डॉ मणि भूषण सिन्हा ने बताया कि बारिश के मौसम में असुरक्षित खान-पान और परहेज नहीं करना बीमारियों के घर करने का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि वायरल बुखार से ग्रसित लोगों को नाक से पानी आना, छींक, गले में खरास होना, कभी-कभी तेज बुखार आना, सरदर्द तथा पूरे बदन में दर्द रहना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि जब बीमारी गंभीर अवस्था में होती है, तो इसे सुपर ऐडेड बैक्टिरियल फीवर कहा जाता है। इस स्थिति में मरीजों की खास देख-भाल की जरुरत होती है। उन्होंने कहा कि आज के दिनों में सामान्य तौर पर हर व्यक्ति यह जानता है कि वायरल फीवर एक संक्रामक बीमारी है। लेकिन फिर भी अक्सर लोग छींकते या खांसते समय मुंह पर रुमाल रखना भूल जाते हैं। इसलिये बीमारी से ग्रसित लोगों का इस बात का ध्यान रखना चाहिये।
इसके अलावा जॉन्डिस होने पर अक्सर मरीज को उल्टी आती हैं, भूख नहीं लगती है, आंखों का रंग पीला पड़ जाता है। जब बीमारी बढ़ने लगती है, तो चमड़े का रंग भी पीला हो जाता है। इसी प्रकार टायफाइड का भी असर आंतों पर पड़ता है, इसलिये लोगों को खान-पान का ध्यान रखना चाहिये। यह दूषित पानी से होने वाला रोग है, जो मानसून के दौरान अधिक होता है। यह दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है।
इस मौसम में कुछ भी खाने से पहले नियमित रूप से हाथ धोएं। सड़क किनारे भोजन या पानी पीने से बचे और अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें।
उन्होंने कहा कि पेचिश भी बरसात के मौसम में होने की अधिक संभावना रहती है। यह रोग दस्त का ही एक रूप है। इसमें रोगी जब-जब मल त्याग करता है, तब उसके मल के साथ रक्त और म्यूकस भी निकलता रहता है और रोगी को बार-बार शौच जाने की जरूरत महसूस होती है। पेट में मरोड़ के साथ दर्द भी होता है। कभी-कभी बुखार भी आ जाता है।
इसके रोगी को अधिक से अधिक तरल पदार्थ जैसे ओआरएस युक्त पानी, नींबू का पानी आदि देना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह मौसम मच्छरों के प्रजनन के लिये भी अनुकूल है। इसलिये इन दिनों तेजी से मच्छरों की संख्या में भी वृद्धि होती है। इसके प्रकोप के रुप में लोगों को मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अपने घरों के आस-पास कूड़े-कचड़े, जल जमाव और सड़ी-गली चीजों को इकट्ठा नहीं होने दें, ताकि इन बीमारियों से बचा जा सके।