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वैष्णव मान्यताओं के अनुसार राधा-कृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक हैं श्री जगन्नाथ
By Deshwani | Publish Date: 24/6/2017 6:01:28 PM
वैष्णव मान्यताओं के अनुसार राधा-कृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक हैं श्री जगन्नाथ

रांची, (हि.स.)। तेरह दिनों तक अज्ञातवास में रहने के बाद 25 जून यानी रविवार से जगन्नाथ रथयात्रा शुरू होने जा रही है । श्री जगन्नाथ जी को उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता माना जाता है । वैष्णव धर्म की मान्यताओं के अनुसार राधा -श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं।
रथ यात्रा के लिए गाड़ी नीम की पवित्र और परिपक्व काष्ठ यानी लकड़ियों से बनायी जाती है जिसे ‘दारु’ कहते हैं. इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है। इसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है। रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है। इसे बनाने में काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है वहीं निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है। जब ये तीनों रथ तैयार हो जाते हैं तब ' छर पहनरा ' नामक अनुष्ठान संपन्न किया जाता है।
आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है। ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण इन रथों को खींचते हैं। कहते हैं, जिन्हें रथ को खींचने का अवसर प्राप्त होता है, वह महाभाग्यवान माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, रथ खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शायद यही बात भक्तों में उत्साह, उमंग और अपार श्रद्धा का संचार करती है।
 

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