झारखंड
44.25 लाख ग्रामीण आबादी को पाइप जलापूर्ति : चन्द्रप्रकाश
By Deshwani | Publish Date: 21/6/2017 5:37:14 PMरांची, (हि.स.)। झारखंड के पेयजल एवं स्वचछता विभाग के मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि राज्य में पहली बार रामगढ़ जिला को वित्तीय वर्ष 2016-17 में ओडीएफ घोषित किया गया। साथ ही राज्य के आदिम जनजाति टोलों में 79 योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। नक्सल प्रभावित जिलों में 576 ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। चौधरी बुधवार को सूचना भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में बोल रहे थे।
चौधरी ने कहा कि पाइप जलापूर्ति योजना के आच्छादन का राष्ट्रीय औसत 4-4.5 प्रतिशत है, जबकि झारखंड राज्य का 8-10 प्रतिशत प्रति वर्ष है। उन्होंने बताया कि विगत दो वर्षों में विभाग द्वारा लगभग दो हजार करोड़ रुपया व्यय किया गया है। जिसमें से लगभग एक हजार करोड़ पेयजल एवं एक हजार करोड़ स्वच्छता कार्यक्रमों में व्यय किया गया है। गहन उग्रवाद प्रभावित जिलों में भी ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं के माध्यम से लोगों तक पेयजल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में 61 वृहत ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं एवं 3703 लघु ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाएं पूर्ण कर ली गयी हैं। इस योजना के माध्यम से 44.25 लाख ग्रामीण आबादी को पाइप जलापूर्ति योजना से आच्छादित किया गया है। चौधरी ने बताया कि विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 13.02 लाख व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण किया गया है। जिससे रामगढ़ जिला सहित राज्य के अन्य 26 प्रखण्ड, 150 ग्राम पंचायत एवं 5258 ग्राम को खुले में शौच से मुक्त किया गया है।
उन्होंने कहा कि ओडीएफ योजना में 90 प्रतिशत से ज्यादा आच्छादित 16 प्रखण्ड एवं 238 पंचायत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जून 2017 तक 50 प्रखण्ड एवं 1000 पंचायत ओडीएफ करने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने बताया कि माइनिंग वाले क्षेत्र में पेयजल की समस्या हमेशा रहती है, इसके लिए सरकार डीएमएफटी की राशि से 26 वृहत ग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजनाओं (जिसकी राशि लगभग 1050 करोड़ रुपया है) को स्वीकृति प्रदान कराने की प्रक्रिया कर रही है। उन्होंने कहा कि 2020 तक आधी आबादी को पाइप जलापूर्ति की सुविधा का लाभ मिलेगा। शहरी पाइप जलापूर्ति योजना का संचालन एवं रख-रखाव 15 नगर नकायों द्वारा स्वयं की जा रही है, जबकि 12 शहरी पाइप जलापूर्ति योजनाओं के संचालन का कार्य आउटसोर्सिंग से किया जा रहा है।
इस अवसर पर विभाग के प्रधान सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बनने वाले शौचालय को पारंपरिक रूप से बनाया जा रहा है ताकि इसमें पानी की खपत कम हो। शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और नगर निकाय के माध्यम से सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षों में राज्य में वर्षा काफी कम हुई थी लेकिन पिछले वर्ष काफी अच्छी बारिश हुई और इस वर्ष भी अच्छी बारिश होने की संभावना है। बारिश के पानी को संचित करने और उसका उपयोग भूमि जलस्तर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग अगले वर्ष तक शहरी क्षेत्र में पानी की किल्लत को कम कर देगा।