योगी सरकार ने संक्रमण के तेज प्रसार पर लगाई ब्रेक , पर चुनौतियां अब भी कम नहीं ,लॉकडाउन का एक महीना पूरा
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के तेजी से प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन का एक महीना पूरा हो गया है। ये समय आमजनता के लिए तो संयम का था ही सरकार के लिए भी कठिन परीक्षा का रहा। हालांकि, प्रदेश की योगी सरकार ने इस दौरान संक्रमण के विस्तार को काफी हद तक रोका जरूर पर चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं।
हालांकि, अर्थव्यवस्था की नाजुक स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने औद्योगिक इकाइयों के संचालन को शर्तों के साथ प्रारंभ करने की अनुमति तो दे दी है साथ ही चौकन्ना रहने के भी आदेश दिए हैं। शनिवार को अपने सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को निर्देश दिए कि जहां भी संक्रमण की आशंका हो वहां उद्योगों को चलाने की अनुमति न दी जाए। प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या अब 1820 पहुंच गई जिसमें से करीब 27 लोगों की मौत हो चुकी है। अब जब लॉकडाउन का एक महीना हो गया है तो आइए नजर डालते हैं इस दौर के हालात और सामने आई चुनौतियों पर:
प्रवासी मजदूरों की वापसी व तब्लीगी जमात ने खड़ी की चुनौती:
दरअसल, लॉकडाउन की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में महाराष्ट्र, पुणे व दिल्ली से मजदूर उत्तर प्रदेश की तरफ निकल पड़े ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों की धज्जियां उड़ गईं। ट्रेनों में भरकर आए लोगों ने संक्रमण के खतरे को बढ़ा दिया। हालांकि, माना जा रहा है कि मार्च के आखिरी सप्ताह में यूपी आए इन लोगों में संक्रमण नहीं था अन्यथा अब तक हालात और नाजुक हो चुके होते। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने खुद मोर्चा संभाला और अलग-अलग राज्यों से आए लोगों के लिए बसें लगाकर उन्हें उनके जिलों को भेजा गया।
वहीं, दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से यूपी लौटे तब्लीगी जमात के लोगों ने भी सरकार के सामने चुनौती बढ़ा दी। उन्हें जांच के लिए घरों से निकालना और क्वारंटीन करने में विशेष दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक समय तो ऐसा लगा कि हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे लेकिन सरकार की मुस्तैदी से इस पर भी नियंत्रण पा लिया गया। हालांकि, प्रदेश में कोरोना के कुल मरीजों में बड़ी संख्या में तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों की ही है।
नोएडा के हॉटस्पॉट बनने से जिलाधिकारी पर गिरी गाज:
प्रदेश में अभी तक आगरा, लखनऊ, गौतमबुद्घनगर (नोएडा), कानपुर नगर, मुरादाबाद व सहारनपुर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 100 से ज्यादा हो चुकी है। लॉकडाउन की घोषणा के बाद नोएडा में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही थी। पूरे प्रदेश के लिए नोएडा हॉटस्पॉट बनकर उभरा जिस पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री योगी ने जिलाधिकारी बीएन सिंह को फटकार लगाई तो उन्होंने तीन महीने की छुट्टी मांगते हुए अपने पत्र को सार्वजनिक कर दिया गया जिसके बाद बीएन सिंह का तबादला कर दिया गया।
राजस्थान के कोटा से विद्यार्थियों व अलग-अलग राज्यों से मजदूरों की सफल वापसी:
लॉकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार की कोशिशों से राजस्थान के कोटा में फंसे करीब 10,500 विद्यार्थियों की प्रदेश में सफल वापसी हुई। वापसी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और उनकी स्क्रीनिंग करने से बाद विद्यार्थियों को होम क्वारंटीन के लिए भेज दिया गया।
इसी तरह विपक्ष के नेताओं की मांग पर महाराष्ट्र, दिल्ली व हरियाणा सहित अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के मजदूरों को भी वापस लाने की कवायद शुरू हो गई है। इस कोशिश को सफल बनाते हुए हरियाणा से मजदूरों को वापस लाने का काम शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि हरियाणा से 82 बसों के जरिए वहां के 16 जिलों से 2224 मजदूरों को यूपी वापस लाया जा चुका है। इन मजदूरों को उनके घर भेजने से पहले उन्हें 14 दिन क्वारंटीन किया जाएगा।
पुलिसकर्मियों पर भी बढ़ा संक्रमण का खतरा:
कोरोना संकट में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी व पुलिसकर्मी समाज के नायक के तौर पर उभरे हैं। हालांकि, ये कहना भी उचित रहेगा कि इस संकट ने पुलिसकर्मियों के बारे में लोगों की सोच बदल दी। कुछ जगहों से खाकी की ज्यादतियों की खबरें जरूर आईं लेकिन ज्यादातर पुलिस लोगों की सहायता करती हुई नजर आई। इस संकट ने पुलिस की छवि बदल दी है। पर यह भी एक सच है कि विपरीत परिस्थितियों में काम करते हुए पुलिसकर्मियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वाराणसी में सात पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए। इनमें एक उपनिरीक्षक, तीन कांस्टेबल, तीन हेड कांस्टेबल शामिल हैं। इस दौरान प्रदेश के कई जिलों से पुलिसकर्मियों व डॉक्टरों पर हमले की भी खबरें आईं। शनिवार को ही बहराइच में मीट की दुकान खोलने से मना किया गया तो युवक ने पुलिसकर्मी पर जानलेवा हमला कर दिया।
लॉकडाउन के दौरान साढ़े नौ करोड़ रुपये जुर्माने की वसूली:
प्रदेश में लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के अनुसार, लॉकडाउन के उल्लंघन पर धारा 188 के तहत अब तक करीब 24,446 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है और करीब 27,272 वाहन सीज किए गए हैं। चेकिंग अभियान के दौरान नौ करोड़, 49 लाख, 88 हजार रुपये जुर्माने की वसूली की गई है।