कुशीनगर में हरे-भरे पेड़ों की कटान जोरो पर, वन विभाग की मिली भगत से हो रही है कटान
कुशीनगर। भानु तिवारी। धरती को हरा-भरा बनाने की जिम्मेदारी जिन लोगों पर है वे ही उसे उजाड़ बनाने में जुट गए हैं। घने पेड़ों से घिरे मुख्य पश्चिमी गंडक नहर व पडरौना-दुदही मार्ग की तस्वीर अब बदली-बदली नजर आ रही है। ऐसा इसलिए कि महज चंद दिनों में जंगल के दुश्मनों ने हरियाली पर वार कर हरे-भरे सैकड़ों पेड़ काट डाले।
पडरौना-दुदही मार्ग व मुख्य पश्चिमी गंडक नहर के दोनों तरफ सागौन के अलावा बड़ी संख्या में छायादार पौधे हैं। इनकी देख-रेख के लिए वन विभाग द्वारा फारेस्ट गार्ड, फारेस्टर व माली की तैनाती की गई है, लेकिन इनकी उपस्थिति महज कागज में ही रहती है। दुदही मार्ग पर दोनों तरफ लगे कटहल, आम, जामुन व सागौन आदि के वर्षों पुराने पेड़ों से लोगों की यादें जुड़ी हैं। आस-पास के लोग गर्मी के दिनों में इन पेड़ों के नीचे बैठ कर तपती धूप से निजात पाते हैं। महज 10 दिनों में दुदही, पडरौन मडूड़ही, विशुनपुर बरियापटटी, चाफ, बैकुंठपुर, नरहवांडीह, नरहवां अचरज दूबे, ठाढीभार, धर्मपुर, बांसगांव, गौरीजगदीश, तिवारी पटटी तथा मुख्य पश्चिमी गंडक नहर के किनारे के गांव रकबा दुलमापट्टी, गौरीश्रीराम के टोला माधोपुर के सामने से तस्कर फलदार व छायादार सैकड़ों पेड़ काट ले गए। गांव के लोग अंधाधुंध कटान से चितित हैं। साथ ही निगरानी में लगे विभागीय कर्मियों पर सवाल उठा रहे हैं। आरोप है कि वन कर्मियों की मिली भगत से ही पेड़ कट रहे हैं।
रेंजर नृपेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं था, इसकी जांच कराकर संबंधित कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। पटहेरवा थाना क्षेत्र के अधिकांश गांव बिहार बार्डर से सटे हैं। इनमें बसडीला महंथ, नरहवा, नाथापट्टी, इंदिरा बाजार, बरई पट्टी, लकोटवा, टीकमपार, मंगुरी पट्टी, मीर बिहार, धुसवा, करजहां, समउर बाजार, गगुआ, मठिया गांव प्रमुख हैं। इन गांवों में प्रतिबंधित आम, कटहल, जामुन व छायादार पेड़ काट कर वन तस्कर लकड़ियों को बिहार भेज रहे हैं।
वन क्षेत्राधिकारी नृपेंद्र चतुर्वेदी ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि जांच कराकर संलिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।