कुशीनगर जिले में लगे इंडिया मार्क टू हैंडपंप भी अब उगलने लगा जहरीला पानी, ‘जल ही जीवन’ फार्मूला को कर रहा है ध्वस्त
कुशीनगर। कुशीनगर जिले में लगे इंडिया मार्क टू हैंडपंप भी अब जहरीला पानी उगलने लगे हैं। जिले के इंसेफेलाइटिस प्रभावित गांवों में लगे इंडिया मार्क टू हैडपंपों के पानी की जांच में यह बात सामने आई है। जल निगम की तरफ से इंडिया मार्क टू हैंडपंपों के पानी के 3658 नमूनों की जांच में 695 नमूनों का पानी दूषित और बैक्टीरियायुक्त मिला है। जल निगम ने पंचायतीराज विभाग को पत्र भेजकर ऐसे इंडिया मार्क टू हैंडपंपों पर लाल क्रॉस का निशान लगाने तथा संबंधित ग्राम पंचायतों में इसके पानी के सेवन पर रोक लगाने की गुजारिश की है।
शुद्घ पानी शरीर के लिए जितना फायदेमंद होता है, दूषित उतना ही नुकसानदायक। वैसे तो भूगर्भ जल में क्लोराइड, फ्लोराइड, आयरन, सल्फेट सहित तकरीबन दो दर्जन रासायनिक तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व यदि सामान्य मात्रा में रहें तो आदमी की सेहत ठीक रहती है, लेकिन यदि इनकी मात्रा कम अथवा ज्यादा हुई तो ‘जल ही जीवन’ का फार्मूला ध्वस्त होने लगता है।
कुशीनगर में 641 ऐसे गांव हैं, जो इंसेफेलाइटिस प्रभावित चिह्नित किए गए हैं। मुख्य अभियंता जलनिगम के निर्देश पर जुलाई में इस जिले के इन सभी इंसेफेलाइटिस प्रभावित गांवों के इंडिया मार्क टू हैंडपंपों के पानी की जांच के लिए पंचायतीराज विभाग की मदद से ब्लॉकों पर सफाई कर्मचारियों का प्रशिक्षण हुआ था। उसके बाद उन्हें पानी की जांच के लिए किट दिया गया। सफाईकर्मियों की तरफ से उपलब्ध कराई गई 3658 किट की जल निगम ने प्रयोगशाला में जांच कराई तो 2963 नमूने ठीक मिले, लेकिन 695 दूषित एवं बैक्टीरियायुक्त पाए गए हैं।
भूगर्भ जल विभाग का नहीं है दफ्तर
इंसेफेलाइटिस के लिहाज से यह गोरखपुर मंडल का सर्वाधिक संवेदनशील जनपद है। पूर्व में इंसेफेेलाइटिस को लेकर शोध करने आई अटलांटा के विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय टीमों ने भी माना है कि जनपद में इस बीमारी के लिए सीधे-सीधे प्रदूषित भूगर्भ जल जिम्मेदार है। स्वास्थ्य महकमे के हिसाब से भूगर्भ जल का प्रथम स्तर प्रदूषित हो चुका है। भूगर्भ जल में वाटर बैलेंस, वाटर स्टोरेज से लेकर उसकी शुद्धता की जांच करने का जिम्मा भूगर्भ जल विभाग के कंधों पर होता है, लेकिन इस जिले में भूगर्भ जल का दफ्तर कहीं ढूंढने से भी नहीं मिलता। अगर यह दफ्तर होता तो पानी की और भी अशुद्धियों का पता चल पाता।
साधारण हैंडपंप का पानी पहले से ही दूषित
यहां के साधारण हैंडपंप का पानी तो पहले से ही दूषित माना जाता है। अप्रैल 2018 में जल निगम की तरफ से जिले के अलग-अलग हिस्सों से साधारण हैंडपंपों के 260 नमूनों की जांच कराई गई थी, जिसमें से 29 में बैक्टीरिया पाए गए थे। इस तरह साधारण हैंडपंप का पानी भी स्वास्थ्य के लिहाज से पीने योग्य नहीं रह गया है।
अशुद्धि पडरौना ब्लॉक में 98, विशुनपुरा में 95, हाटा में 21, कसया में 73, मोतीचक में 51, सुकरौली में 52, नेबुआ नौरंगिया में 53, सेवरही में 31, तमकुही में 56, दुदही में पांच, फाजिलनगर में 31, कप्तानगंज में 28, रामकोला में 68 और खड्डा में 33 सहित कुल 695 नमूने दूषित एवं बैक्टीरियायुक्त मिले हैं।
इस संबंध में प्रमोद कुमार गौतम, एक्सईएन, जल निगम ने बताया कि मुख्य अभियंता के निर्देश पर इंसेफेलाइटिस प्रभावित गांवों के इंडिया मार्क टू हैंडपंपों से लिए गए 3658 नमूनों की जुलाई में जांच कराई गई है। 2963 नमूने शुद्ध पाए गए हैं। 695 नमूने दूषित एवं बैक्टीरियायुक्त पाए गए हैं। पंचायतीराज विभाग को पत्र भेजकर दूषित पानी देने वाले हैंडपंपों पर लाल रंग के क्रॉस का निशान लगवाने तथा लोगों से इसका सेवन न किए जाने के लिए जागरूक करने की गुजारिश की गई है।