वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय और ट्रामा सेंटर में लगातार तीसरे दिन भी जूनियर डाक्टरों की हड़ताल से मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ती जा रही हैं। पूर्वांचल के सबसे बड़े अस्पताल में इलाज के लिए आये मरीज और उनके परिजन ओपीडी के बाहर और अस्पताल परिसर में जगह-जगह जमीन पर दर्द से कराह रहे हैं। ओपीडी में वरिष्ठ चिकित्सक बैठ रहे हैं लेकिन मरीजों की भीड़ के आगे उनके भी पसीने छूट रहे हैं।
हड़ताल के तीसरे दिन भी जनरल मेडिसिन, न्यूरो, बाल रोग, ईएनटी के ओपीडी के बाहर मरीजों की भीड़ इलाज के आस में डटी रही। वरिष्ठ चिकित्सक गम्भीर मरीजों को देखते रहे। अस्पताल में चन्दौली, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर से आये कई मरीज जूनियर डाक्टरों की हड़ताल की जानकारी पर वापस लौट गये।
उधर, अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीजों का भी ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सकों के राउन्ड पर आने के बाद आम दिनों में रेजिडेंट डाक्टर ही मरीजों को संभालते हैं और रिपोर्ट तैयार कर वरिष्ठ चिकित्सकों को जानकारी देते हैं लेकिन उनके हड़ताल पर चले जाने के बाद यह कार्य प्रभावित हुआ है। नर्स और सहायक किसी तरह मरीजों को संभाल रहे हैं। ट्रामा सेंटर में अस्थि रोग विभाग की ओपीडी में भी सभी मरीजों का आज भी पर्चा नहीं लिया गया।
अस्पताल में जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल समाप्त कराने के लिए बीएचयू कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने रेजिडेंट डाक्टरों के प्रतिनिधि मंडल से बीते मंगलवार को दोपहर में बातचीत की थी लेकिन सातवें वेतन आयोग की संस्तुति पर बात नहीं बनी और वार्ता बेनतीजा होने से जूनियर चिकित्सकों ने दो दिवसीय हड़ताल शुक्रवार तक बढ़ा दी। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को चेताया कि यदि शुक्रवार तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं होता है तो इमरजेंसी सेवा भी ठप कर देंगे।
उधर, अखबारों के माध्यम से हड़ताल की जानकारी होने पर अन्य दिनों की अपेक्षा आज अस्पताल में मरीजों की कम संख्या पहुंची। ओपीडी में सीनियर डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे और भर्ती भी कर रहे थे। पंजीकरण काउंटर दोपहर तक खुला रहा। अस्पताल परिसर के कई वार्डों के गलियारे में हड़ताल से सन्नाटा पसरा रहा।
सातवें वेतन आयोग को लेकर दिल्ली, अलीगढ़ के साथ बीएचयू के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। जूनियर रेजिडेंट ने ओपीडी का बहिष्कार कर रखा है। बीएचयू छोड़कर अलीगढ़ में डाक्टर सांकेतिक हड़ताल पर हैं। रेजीडेंट डॉक्टर सातवें वेतन की संस्तुतियां लागू करने की मांग कर रहे हैं। आयोग की संस्तुतियों के मुताबिक उन्हें बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल रहा है।