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कर्नाटक: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी गठबंधन सरकार पर संशय बरकरार
By Deshwani | Publish Date: 17/7/2019 5:40:46 PM
कर्नाटक: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी गठबंधन सरकार पर संशय बरकरार

बेंगलुरु। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के आज के अंतरिम फैसले में कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को जेडीएस-कांग्रेस के 15 असंतुष्ट द्वारा दिए गए त्यागपत्रों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। एक समय सीमा के भीतर विधायकों को राहत प्रदान करते हुए यह गठबंधन सरकार को बड़ा झटका है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 15 विधायकों के इस्तीफे को संविधान की धारा 190 के प्रावधानों के अनुसार स्पीकर द्वारा संज्ञान में लिया जाना है लेकिन एक विशेष समय सीमा पर जोर देने से इनकार कर दिया।

 
असंतुष्ट विधायक वर्तमान में मुंबई के लक्जरी होटल में हैं और उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए एक वीडियो जारी किया है। साथ ही, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनमें से कोई भी गुरुवार को राज्य विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बेंगलुरु नहीं जाएगा और न ही जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान मौजूद रहेगा।
 
शीर्ष अदालत के आज के फैसले के बाद असंतुष्ट विधायकों को विश्वासमत के दौरान चर्चा में उपस्थित होने या राज्य विधानसभा के वर्तमान सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत अपने फैसले में कहा है कि 15 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता जैसी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है, जो असंतुष्ट विधायकों के लिए एक वरदान साबित हुई है।
 
जेडीएस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एच विश्वनाथ अन्य असंतुष्ट विधायकों के साथ मुंबई में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को विधानसभा सत्र में भाग लेने की संभावना से इनकार किया है। राज्य विधानसभा के स्पीकर केआर रमेशकुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेशों का स्वागत किया है। विपक्ष के नेता बीएस येदियुरप्पा ने शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश को संविधान और लोकतंत्र की जीत करार दिया है।उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के इस्तीफे की भी मांग की।
 
हालांकि, मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इस पर प्रतिक्रिया से इनकार कर दिया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और उनके पिता एचडी देवेगौड़ा, भाई एचडी रेवन्ना के साथ सुबह स्थानीय श्री श्रृंगेरी शारदम्बा मंदिर में पूजा-अर्चना की। मंदिर के बाहर खड़े पत्रकारों ने उनसे शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की लेकिन किसी ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 
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