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लोकसभा चुनाव: तृणमूल के गढ़ में भाजपा की डगर मुश्किलों भरा
By Deshwani | Publish Date: 16/5/2019 3:11:35 PM
लोकसभा चुनाव: तृणमूल के गढ़ में भाजपा की डगर मुश्किलों भरा

कोलकाता। लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच गया है। 19 मई को सातवें चरण में अंतिम मतदान होगा। इस दिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की तीन (उत्तर कोलकाता, दक्षिण कोलकाता, जादवपुर) और उपनगरीय क्षेत्रों की छह लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इनमें दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट बेहद खास है, क्योंकि करीब 20 साल से इस क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी जड़ें जमा कर रखी हैं। 

 
भारतीय जनता पार्टी विगत पांच सालों से पांव पसारने की कोशिश कर रही है और बहुत हद तक सफल भी रही है। कोलकाता कभी वामपंथी दलों का गढ़ रहा तो बाद में कांग्रेस की तरफ भी झुकाव हुआ लेकिन अब ये ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का गढ़ है।
 
कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल के दुर्ग का सबसे मजबूत दरवाजा है और भाजपा ने इसी दुर्ग में ममता को ललकारा है। कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट से ममता बनर्जी छह बार सांसद चुनी गईं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफ दे दिया था। इसी लोकसभा की विधानसभा सीट भवानीपुर से ममता बनर्जी फिलहाल विधायक हैं।
 
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पैतृक आवास भी इसी क्षेत्र में है और नेताजी के परिजन भी राजनीति के मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। ममता बनर्जी के खिलाफ इस लोकसभा सीट से भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की माला रॉय के खिलाफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस को मैदान में उतारा है। खास बात यह है कि नामांकन वाले दिन पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में उन पर ममता बनर्जी के आवास के पास जानलेवा हमला भी हो चुका है, जिसे भाजपा ने जमकर मुद्दा बनाया है। 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान चंद्र कुमार बोस भवानीपुर विधानसभा सीट सेे ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हार गए थे।
 
कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट का गठन 1951 में हुआ था। कोलकाता दक्षिण सीट पर कांग्रेस और सीपीएम के बीच ही सीधी टक्कर और हार-जीत दिखाई देती रही। कांग्रेस के ही टिकट पर ममता बनर्जी ने जादवपुर में राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर किया था। साल 1984 में ममता बनर्जी ने सीपीएम के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी को हरा दिया था। इसके बाद ममता बनर्जी ने 1991 में कोलकाता दक्षिण को अपनी कर्मभूमि बनाया।‌ 1991,1996,1998,1999, 2004 और 2009 से सांसद निर्वाचित हुईं। 2011 में पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने यहां की सीट छोड़ दी और साल 2014 में तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी यहां से सांसद चुने गए।
 
पश्चिम बंगाल में 42 में से अधिकतर सीटों पर सीधा मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच है। दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट भी इससे अछूती नहीं है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के तथागत रॉय ने टीएमसी के सुब्रत बख्शी को कड़ी टक्कर दी थी। 2019 में भी इस सीट पर टीएमसी और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। टीएमसी ने मौजूदा सांसद सुब्रत बख्शी की जगह माला रॉय को यहां से मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने चंद्र कुमार बोस को उम्मीदार बनाया है। कांग्रेस ने मीता चक्रवर्ती को यहां से टिकट दिया है। 
 
 
कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट के तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं और उन सातों सीटों पर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। कसबा, बेहला पूर्व, बेहला पश्चिम, कोलकाता पोर्ट, भवानीपुर, रासबिहारी, बालीगंज। कोलकाता दक्षिण संसदीय सीट दक्षिण 24 परगना जिले में आती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल आबादी 19 लाख 72 हजार 769 है। इनमें से 1.52 फीसदी आबादी ही ग्रामीण है। बाकी 98.48 फीसदी शहरी है। वोटर लिस्ट के मुताबिक 17 लाख से अधिक मतदाता है।
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