कुशीनगर। भानू प्रताप तिवारी।
कुशीनगर। जिले के युवा विचारक राजू सिंह पटेल ने कहा है कि राजनैतिक (कुत्सित) संस्कार एवं सोच ने हमारे मजबूत लोकतन्त्र की स्वस्थ संस्कृति को दूषित कर रखा है।
इस ब्रह्माण्ड के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के सर्वोच्च राजनैतिक एवं प्रशासनिक मुखिया प्रधानमन्त्री व ऐसे देश के आबादी एवं मतदाता-सङ्ख्या की दृष्टि से सबसे बड़े प्रान्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री के लिए ऐसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग यह दर्शाता है कि जिस स्वस्थ-सुविचारित-सुसंस्कृत-बौद्धिक एवं राष्ट्रवादी देशभक्ति से कूट-कूटकर भरी राजनीति की गौरवशाली परम्परा का शुभारम्भ अरविन्द घोष, खुदीराम बोस, लाला लाजपत राय, विपिन चन्द्र पाल, लोकमान्य बाल गङ्गाधर तिलक, पण्डित मदनमोहन मालवीय, मोहनदास करमचन्द गान्धी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, राजेन्द्र लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, वीर सावरकर , डॉ हेडगेवार, डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी, डॉ राम मनोहर लोहिया, खान अब्दुल गफ्फार खान, दादा भाई नौरोजी, रास बिहारी बोस एवं लाल बहादुर शास्त्री जैसी महान् विभूतियों ने करके 7,32,000 वीर स्वतन्त्रता सेनानियों की अविस्मरणीय प्राणाहुति के उपरान्त यह देश लुटेरे आततायियों से आजाद कराने में सफलता प्राप्त की थी।
आज उस अदम्य त्याग-बलिदान व सङ्घर्ष से भरे इतिहास का लज्जाजनक तरीके से उपहास उड़ाया जा रहा है । लोकतान्त्रिक प्रणाली में राजनैतिक रूप से वैचारिक मतभेद न केवल स्वाभाविक है अपितु लोकतन्त्र की मजबूत नींव के लिए अति आवश्यक भी हैत, किन्तु देश की सर्वोच्च संस्था/पदों को अपशब्द कहकर वस्तुतः ऐसे अज्ञानी लोग शत्रु-देशों को हमारे गौरवशाली देश का मजाक उड़ाने व दुष्प्रचार करके भारत माता की छवि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खराब करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं । यह हमारे देश का दुर्भाग्य है । हमें ऐसे राष्ट्रविरोधी अराजक-तत्वों को सोशल मीडिया के जरिए बेनकाब करके राष्ट्र की जनता को जागरूक बनाना चाहिए । भारत निर्वाचन आयोग को ऐसे राष्ट्रघातक भड़काऊ भाषण देने वाले व निर्वाचन-प्रक्रिया को दूषित करने का निन्दनीय अपकृत्य करने वाले तथाकथित नेताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करके एक नजीर कायम करते हुए पूरे देश को अच्छा सन्देश देना चाहिए ।