गोरखपुर। गोरखपुर के सदर सांसद प्रवीण निषाद ने आज भाजपा की सदस्यता ले ली। उन्हें दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने सदस्यता दिलाई। निषाद पार्टी ने एनडीए में भी शामिल होने का ऐलान किया है। महागठबंधन से अलग होने के बाद पिछले कई दिनों से निषाद पार्टी भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में थी।
बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. संजय निषाद की हुई मुलाकात का नतीजा आज साफ हो गया। इसी मुलाकात के बाद निषाद पार्टी ने महागठबंधन से किनारा कस लिया था। उपचुनाव में सपा के सिंबल पर निषाद पार्टी से प्रवीण निषाद ने चुनावी अखाड़े में ताल ठोंकी थी। यह सीट मार्च 2018 में सदर सांसद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी।
संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी के रूप में प्रवीण निषाद ने इस सीट पर भाजपा के उपेन्द्र दत्त शुक्ल को चुनावी शिकस्त दी थी। एक लम्बे अर्से के बाद भाजपा यहां चुनाव हारी थी। गोरखपुर लोकसभा में निषाद वोटर की निर्णायक भूमिका होती है। इस संसदीय क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या तीन लाख है। इसी कारण इस सीट को पुनः पाने के लिए भाजपा पिछले कई महीनों से निषाद वोटरों में सेंध लगाने में जुटी थी। निषाद जाति के नेताओं को पार्टी में शामिल कराने का सिलसिला लगातार जारी रहा।
गोरखपुर सदर लोक सभा सीट पर वर्ष 1998 में अवेद्यनाथ ने हिन्दू महासभा से जीत दर्ज किया था। 1991 व 1996 के चुनाव में अवेद्यनाथ भाजपा के टिकट पर सांसद रहे। अवस्था ढल जाने के कारण 1998 में अवेद्यनाथ ने अपना उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को बनाया। 1998 के चुनाव में योगी आदित्य नाथ ने 268428 मत हासिल करके समाजवादी के जमुना प्रसाद निषाद को 26206 वोटों से चुनावी शिकस्त देकर पहली बार दिल्ली की पंचायत में पांव रखा। लोक सभा 2014 तक भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा।
सदर सांसद योगी के प्रदेश का मुख्य मंत्री बनने के बाद यह सीट खाली हुई। उपचुनाव में भाजपा ने उपेन्द्र दत्त शुक्ल पर दांव लगाया। सपा से प्रवीण निषाद चुनावी मैदान में थे। 29 साल से गोरखपुर लोक सभा पर भाजपा का कब्जा होने के चलते मुकाबला काफी रोचक रहा। आखिरकार प्रवीण निषाद को 456513 मतों का जनसमर्थन प्राप्त हुआ।
भाजपा उम्मीदवार उपेन्द्र दत्त शुक्ल को 434625 मत पाकर संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में सपा के प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेन्द्र शुक्ल को 21888 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। इस सीट पर हमेशा निषाद मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। ऐन चुनाव के वक्त सदर सांसद के भाजपा में शामिल होने से लोक सभा चुनाव-2019 में भाजपा उन पर दांव लगा सकती है।