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सपा के गढ़ में एक बार फिर मुलायम परिवार से प्रत्याशी उतारने की तैयारी
By Deshwani | Publish Date: 6/3/2019 5:02:58 PMलखनऊ। आजमगढ़ लोकसभा चुनाव के लिए राजनैतिक दल अपनी-अपनी तैयारियां कर रहे हैं लेकिन पेंच प्रत्याशियों के नाम पर फंसा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव यहां से सांसद चुने गये। मुलायम सिंह यादव वर्ष 2019 का चुनाव यहां से नहीं लड़ेंगे, इसलिए पार्टी की जिला इकाई से इतने दावेदार सामने आ गये हैं कि इस सीट को बचाये रखने के लिए सपा अध्यक्ष अपने परिवार के ही किसी सदस्य को यहां से चुनाव मैदान में उतारने की सोच रहे हैं जिसमें सांसद तेज प्रताप यादव और डिम्पल यादव का नाम प्रमुख है।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल से निराश मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ सीट जीतकर पार्टी की लाज बचाई थी लेकिन इस बार वह इस सीट पर लड़ना नहीं चाहते। गठबंधन में यह सीट भी सपा के खाते में गयी है लेकिन पार्टी के लिए समस्या यह है कि जिला स्तर पर दावेदारों की संख्या काफी है। दावेदारों में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व एमएलसी बलराम यादव, पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, जिलाध्यक्ष हवलदार यादव व पूर्व जिलाध्यक्ष अखिलेश यादव हैं। सूत्रों की मानें तो गुटबाजी दूर करने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव घर से ही उम्मीदवार तय करने पर विचार कर रहे हैं।
पहले चर्चा थी कि यहां से अखिलेश यादव या तेजप्रताप यादव लड़ेंगे लेकिन अखिलेश का कन्नौज, मुलायम सिंह यादव का मैनपुरी से लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में सांसद तेजप्रताप यादव और डिंपल यादव के लिए पार्टी को नई सीट तय करनी है। वर्ष 2018 में तेज प्रताप यादव की सक्रियता आजमगढ़ में बढ़ी तो कयास लगने शुरू हो गये कि पार्टी उन्हें यहां से चुनावी समर में उतार सकती है। आजमगढ़ के दौरे पर आये तेज प्रताप यादव ने कहा भी था कि पार्टी उन्हें जहां से टिकट देगी वहां से वे चुनाव लड़ेंगे। चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक घटनाक्रम भी तेजी के साथ बदला और कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका को जब पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी बढ़ गया। प्रियंका के पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त होने और कार्यकर्ताओं के उत्साह को देखने के बाद समाजवादी पार्टी ने भी अपना पैंतरा बदल दिया है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो अब समाजवादी पार्टी यहां से तेज प्रताप यादव की जगह डिम्पल यादव को ही टिकट देने पर विचार कर रही है। पार्टी नेताओं का तर्क है कि डिम्पल के आने से पार्टी की यह सीट सौ फीसदी कब्जे में होगी, वहीं प्रियंका के प्रभाव को पूर्वांचल में कम भी किया जा सकता है। राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि वैसे तो पूर्वांचल सपा और बसपा का गढ़ रहा है लेकिन सपा-बसपा के बीच गठबंधन के बाद दोनों पार्टियां एक-एक सीट पर काफी सोची समझी रणनीति के तहत उम्मीदवार तय करने में लगी हैं ताकि वे अपनी पुरानी सीटों पर फिर से कब्जा कर सकें। इसलिए पार्टी इस सीट को बचाये रखने और स्थानीय स्तर पर गुटबाजी को रोकने के लिए एक बार फिर अपने ही परिवार से किसी भी सदस्य को चुनावी मैदान में उतार सकती है।