कुम्भ नगरी (प्रयागराज)। उत्तर प्रदेश की संगमनगरी प्रयागराज में विशाल कुंभ मेले की शुरुआत 15 जनवरी से हुई थी। कुंभ का समापन सोमवार 4 मार्च यानि की महाशिवरात्रि यानि की आज है। इस दिन भक्त आखिरी प्रमुख स्नान कर रहे हैं। इसी के साथ कुंभ मेले का समापन भी आज ही हो रहा है।
खबर है कि आज सुबह चार बजे से ही घाटों पर लोग स्नान करने के लिए जुट गए। पुराणों के अनुसार, इसी दिन सृष्टि के आरंभ में मध्यरात्रि में भगवान शिव ब्रह्मा की काया से रुद्र के रूप में प्रकट हुए थे। इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर और पार्वती का विवाह हुआ था।
इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। शिवरात्रि के बारे में हमारे वेद, पुराणों में बताया गया है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था, उस समय समुद्र से चौदह रत्न प्राप्त हुए थे। उन रत्नों में हलाहल भी था, जिसकी गर्मी से सभी देव व दानव त्रस्त होने लगे कोई भी उसे पीने को तैयार नहीं हुआ। अंत में शिवजी ने हलाहल को पान किया।
उन्होंने लोक कल्याण की भावना से अपने को उत्सर्ग कर दिया। इसलिए उनको महादेव कहा जाता है। जब हलाहल को उन्होंने अपने कंठ के पास रख लिया तो उसकी गर्मी से कंठ नीला हो गया। तभी से उन्हें नीलकंठ भी कहते हैं।
यदि देखा जाए तो आज का दिन बेहद शुभ है क्योंकि आज सोमवार को महाशिवरात्रि पड़ी है। इसके साथ ही इस बार 51 वर्षों के बाद अद्भुत पुण्यकारी संयोग भी बन रहा है। आज के दिन जो भी सच्चे मन से महाशिवरात्रि का व्रत रखेगा नीलकंठ उसकी सभी मुरादें पूरी करेंगे।