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शिअद और भाजपा की तनातनी बढ़ी; बजट पर भी चुप रहे बादल, सुखबीर व हरसिमरत
By Deshwani | Publish Date: 2/2/2019 11:24:26 AM
शिअद और भाजपा की तनातनी बढ़ी; बजट पर भी चुप रहे बादल, सुखबीर व हरसिमरत

चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के बीच बढ़ती दूरी व तनातनी अब साफ नजर आने लगी है। हालत यह हो गई है कि हमेशा मोदी सरकार के बजट के पक्ष में आगे बढ़कर प्रतिक्रिया देने वाले बादल परिवार और शिअद ने इस बार अंतरिम बजट पर चुप्‍पी साध ली। 

 
इससे पहले शिअद ने संसद के बजट सत्र को लेकर वीरवार को एनडीए की मीटिंग का बहिष्कार किया था। यह पहला मौका है कि पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रककेंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मोदी सरकार के बजट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
 
बजट के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के एक पूर्व मंत्री व किसान विंग के अध्यक्ष सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि वह पार्टी की ओर से बयान नहीं दे रहे। किसान विंग के प्रधान के नाते बोल रहे हैं कि बजट बेकार है। चुनावी वर्ष में मोदी सरकार को किसानों को बड़ी राहत देनी चाहिए थी। 500 रुपये महीना की मदद खानापूर्ति है। किसानों पर कर्ज का संकट बढ़ता जा रहा है, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं है।
 
भाजपा और शिरोमणि अकाली दल में पिछले तीन-चार दिनों से लगातार तनातनी का माहौल बना हुआ है। श्री हजूर साहिब के प्रबंधकीय बोर्ड को लेकर दोनों पार्टियों में टकराव बढ़ गया है। महाराष्ट्र सरकार ने प्रबंधकीय बोर्ड में प्रधान को चुनने के लिए मौजूदा एक्ट में संशोधन कर दिया है। इसके अनुसार प्रधान का चयन बोर्ड के सदस्य नहीं, बल्कि सरकार करेगी।
 
 
शिरोमणि अकाली दल को लगता है कि यह उनके धार्मिक मामलों में सीधी-सीधी दखलंदाजी है। पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने यह मुद्दा भाजपा आलाकमान के सामने भी रखा था, लेकिन अभी तक इस पर कोई हल नहीं निकला है। इस मुद्दे पर अकाली दल खासा नाराज है।
 
दो दिन पहले शिअद के महासचिव और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर महाराष्ट्र सरकार एक्ट में संशोधन को वापस नहीं लेती, तो अकाली दल को भाजपा से अलग हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हमारे लिए गुरुद्वारों का प्रबंध अहम है और आरएसएस इसमें बिना वजह दखलअंदाजी कर रही है।
 
इस नाराजगी को अकाली दल ने वीरवार को एनडीए की सहयोगी पार्टियों की मीटिंग का बहिष्कार करके व्यक्त कर दिया था। इसके बाद बजट पर कोई अच्छी प्रतिक्रिया न देकर एक बार फिर अकाली दल ने अपनी नाराजगी खुलकर कर दिखा दी है। हालांकि, पार्टी आलाकमान खामोश है। साफ है कि दोनों पार्टियों में सब कुछ ठीक नहीं है। क्योंकि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में यह नाराजगी कोई बड़ा रूप भी ले सकती है।
 
इसके साथ ही वरिष्ठ अकाली नेता व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा है कि चाहे केंद्र सरकार ने हर वर्ग को राहत देने का दावा किया है, लेकिन किसानों की अनदेखी की गई है। सरकार ने जो बात की थी, बजट उसके मुताबिक नहीं है। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार किसानों की कर्ज माफी पर बड़ा एेलान करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर सभी मसले उठाएंगे। किसानी के लिए अभी बहुत कुछ करने जरूरत है। यह पहली बार शिअद ने मोदी सरकार के बजट पर सवाल उठाया है।
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