नई दिल्ली/प्रयागराज। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए मांग कर रहे साधु-संतों की ओर से प्रयागराज में चल रहे कुंंभ में परम धर्म संसद का आगाज हो चुका है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धर्म संसद की अध्यक्षता कर रहे हैं। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शाम पांच बजे इस धर्म संसद में पहुंचेंगे। अगले तीन तक प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में परम धर्म संसद का आयोजन होगा। यह परम धर्म संसद शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से की जा रही है।
वहीं साधु और संतों ने इस संबंध में बड़ा ऐलान भी किया हुआ है। उनका कहना है कि राम मंदिर सविनय अवज्ञा आंदोलन के जरिये बनाया जाएगा।
प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में इस समय साधु और संतों का जमावड़ा लगा हुआ है। यहां विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद से पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती परम धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं। यह परम धर्म संसद कुंभ में 28, 29 और 30 जनवरी तक चलेगी। इसमें राम मंदिर निर्माण के लिए चर्चा और रणनीति बनेगी। बता दें कि विश्व हिंदू परिषद 31 जनवरी को राम मंदिर मुद्दे पर धर्म संसद का आयोजन कर रही है।
इस परम धर्म संसद के बाद शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के नेतृत्व में बड़ी संख्या में साधु और संत अयोध्या कूच करेंगे। परम धर्म संसद में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत होगी। शंकराचार्य सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से राम मंदिर शिलान्यास के लिए निकलेंगे। इस परम घर्म संसद में 1008 प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इसमें सभी 4 पीठों के प्रतिनिधि, कई देशों के प्रतिनिधि, 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि, 7 पुरियों के प्रतिनिधि, 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधि, सभी संसदीय क्षेत्र से एक-एक प्रतिनिधि इस परम घर्म संसद में रहेंगे।
बता दें कि अयोध्या मसले पर सुनवाई एक बार फिर टल गई। इस मामले में मंगलवार 29 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन इसके लिए बनाई गई बैंच में शामिल जस्टिस बोबड़े के उपलब्ध न होने पर अब ये सुनवाई आगे के लिए टल गई है। अभी इस मामले में सुनवाई के लिए तारीख भी तय नहीं हुई है। इससे पहले पीठ के गठन और जस्टिस यूयू ललित के हटने के कारण भी सुनवाई में देरी हुई थी।
इससे पहले 25 जनवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नई बेंच का गठन कर दिया था. इस बैंच में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा एसए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। पिछली बैंच में किसी मुस्लिम जस्टिस के न होने से कई पक्षों ने सवाल भी उठाए थे।
इससे पहले बनी पांच जजों की पीठ में जस्टिस यूयू ललित शामिल थे, लेकिन उन पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सवाल उठाए थे। इसके बाद वह उस पीठ से अलग हो गए थे। इसके बाद चीफ जस्टिस ने नई पीठ के गठन का फैसला किया था।