रायपुर। मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इसी कड़ी में सुकमा जिले का धुर नक्सल प्रभावित इलाका दोरनापाल। जहां नक्सली घटनाएं और पुलिस-नक्सली मुठभेड़ आम बात है। नक्सलियों की इतनी दहशत है कि करीब 3 हजार बच्चों को शासन-प्रशासन हॉस्टलों में रखकर शिक्षा दे रहा है। माहौल ऐसा कि कोई यहां नौकरी करने को तैयार नहीं, ऐसे में यहां पढ़ाई करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इन सबके बीच माया कश्यप उम्मीद की किरण बन गई है। दोरनापाल की यह बेटी पहली डॉक्टर बनेगी। माया कश्यप को एमबीबीएस में प्रवेश मिल गया है।
इतना ही नहीं सबसे दिलचस्प बात ये है कि दाखिला मिलने के बाद वह दोरनापाल से पहली डॉक्टर बनने वाली हैं। माया का परिवार आर्थिक तंगी की दौर से गुजर रहा है। इसके बावजूद माया ने डॉक्टर बनने का लक्ष्य नहीं छोड़ा और मेहनत की। माया अपनी इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। माया की बहन ने बताया, 'पिता की मृत्यु के बाद हमारा परिवार आर्थिक परेशानी से लगातार जूझ रहा है।
सारी परेशानियां उठाने के बाद माया बड़ी दृढ़ता से अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ती रही। वह हिम्मत नहीं हारी, परिवार उसकी इस सफलता पर बेहद खुश है।' बता दें कि माया अपने सपने के करीब तभी पहुंच गई थी जब उसने जून में हुए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) पास कर लिया था। नीट परीक्षा पास करके मेडिकल और डेंटल कोर्सों में दाखिला मिलता है।
माया एक सरकारी स्कूल की छात्रा है। यहां बड़ी बात है कि अभी तक दोरनापाल से कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं निकला। अब यह उपलब्धि माया को मिलेगी। उसका एमबीबीएस साल 2023 में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज से पूरा होगा। माया के परिवार की मानें तो मेडिकल सीट पाना माया के लिए आसान नहीं था। इसके लिए उसने काफी संघर्ष किया। जब वह छठी क्लास में थी, तभी उसके पिता का निधन हो गया था। इसके बावजूद वह अपने लक्ष्य को हासिल करने में पीछे नहीं रही। माया ने बताया, 'मेरा लक्ष्य था कि मैं एमबीबीएस में दाखिला लेकर देश की सेवा में खुद को समर्पित करूं।