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बेटी के स्पोर्टस में जाने से पिता ने बातचीत की थी बंद, अब जकार्ता में परचम लहराएगी कीर्ति
By Deshwani | Publish Date: 22/8/2018 4:28:08 PMभोपाल। ‘कहते हैं कुछ करने की जिद्द हो तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती’। इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियन गेम्स में मध्य प्रदेश की दो ऐसी बेटियां भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। जिनके लिए इस मुकाम तक पहुंचना बहुत मुश्किल सफर रहा है। यही नहीं उनको यहां तक पहुंचने के लिए उनकी अपने पिता से बातचीत तक बंद हो गई थी।
दरअसल, कीर्ति केवट के पिता खेल में कीर्ति को भेजना हीं नहीं चाहते थे। पिता के विरोध के बाद भी मां ने चुपके से बेटी को खेलने दिया। विरोध इतना था पिता ने बेटी से बात करना ही बंद कर दिया। खेल एकेडमी में चयनित होने पर कीर्ति को वहां नहीं जाने दिया। दो से तीन महीने की देरी से कीर्ति केवट एकेडमी मां के सहयोग से पहुंची।
कीर्ति अब तक पांच अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भाग ले चुकी हैं। साल 2015 में उन्हें पहला अंतरराष्ट्रीय पदक मिला था। वे अब तक 22 राष्ट्रीय पदक व एक बार राष्ट्रीय अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं। जब कीर्ति ने पदक हासिल करना शुरू किया तो बेटी की मेहनत के आगे पिता को भी झुकना पड़ा।
वहीं, मुस्लिम समाज से होने के चलते टीकमगढ़ की नाजिस को भी हर तरफ से विरोध झेलना पड़ा। पिता की मौत के बाद हालात और भी मुश्किल हो गए थे पर मां ने थोड़े-थो़ड़े पैसे जुटाकर बेटी को खेलने भेजा। भाई बहनों के सहयोग से अब नाजिस इस मुकाम पर हैं। कीर्ति और नाजिस दोनों ही खिलाड़ी एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं।