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गांव, गरीब और किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता: मुख्यमंत्री रमन सिंह
By Deshwani | Publish Date: 15/8/2018 2:09:19 PM
गांव, गरीब और किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता: मुख्यमंत्री रमन सिंह

रायपुर। आज मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने ध्वजारोहण किया और जनता को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। इसके बाद 22 टुकड़ियों की सलामी ली और आईपीएस सिद्धार्थ तिवारी की कमांड में परेड का निरीक्षण किया। वहीं प्रदेश के अन्य जिलों में भी प्रभारी मंत्रियों ने ध्वजारोहण किया।

मुख्यमंत्री ने पुलिस लाइन में ध्वजारोहण के बाद प्रदेश की जनता को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जिस आज़ादी के लिए हमारे देश के वीरों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था, हम उनके सपनों का समृद्ध व खुशहाल भारत बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। 

राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का कल हार्ट अटैक होने से निधन हो गया था। उनके निधन के बाद प्रदेश में 7 दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की गई है। इसके चलते स्वतंत्रता दिवस बेहद सादगी से मनाया जा रहा है। प्रदेश में आयोजित किए गए सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। 

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जिस आज़ादी के लिए हमारे देश के वीरों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था, हम उनके सपनों का समृद्ध व खुशहाल भारत बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। सबका साथ, सबका विकास के संकल्प के बाद कभी मुड़कर नही देखा। गांव, गरीब और किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को याद करते हुए कहा कि विकट परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ के जनक वाजपेयी के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी मिली थी। दीनदयाल उपाध्याय के सूत्र वाक्य समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति के दुख दर्द में भागीदार बनो, राहत पहुंचाओ, इसी आधार पर अंत्योदय की तमाम योजनाएं बनाई। 

उन्होंने कहा कि जब पहली बार 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली उस समय प्रदेश की जनता भूख, भय, भ्रष्टाचार बीमारी, बेरोजगारी से जूझ रही थी। सौभाग्य है कि तिरंगे की छांव में 15वीं बार संबोधन का अवसर मिला। लगातार 3 पारियों में आपकी सेवा का अवसर मिला। 

डॉ सिंह ने कहा कि मुझे विकास के चमकते हुए कलश पर मजदूरों का चेहरा दिखता है। विकास की बड़ी बड़ी इमारतों में पसीने से लिखी हुई इबारतें दिखती है। इसलिए मुझे देखकर बुरा लगा था कि प्रदेश में श्रमिकोंं के कल्याण के लिए 56 वर्षों में कोई ठोस योजना नही बनाई गई थी।

हमने 30 लाख से अधिक श्रमिकों का पंजीयन किया। जो काम 56 सालों में नही हुआ वो हमने 15 साल में कर के दिखाया है। वर्ष 2003 में हमारे द्वारा अभी तक किए गए कार्यों को विजन के तौर पर बताता तो इसे ख्याली पुलाव कहकर मजाक उड़ाया जाता था, लेकिन हमने वह सब कुछ कर दिखाया है।

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