भोपाल।मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए चंद महीने ही बचे हैं। ऐसे में गाय को लेकर की जाने वाली बीजेपी ब्रैंड राजनीति शिवराज सिंह चौहान सरकार के गले की फांस बनती नजर आ रही है। दरअसल, मध्य प्रदेश में कामधेनु गाय अभयारण्य (सेंक्चुरी) प्रोजेक्ट को बड़े जोरशोर से शुरू किया गया था। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में स्थित ये देश की अकेली सेंक्चुरी थी जिसे बेसहारा छोड़ दी जाने वाली गायों के संभावित समाधान के तौर पर प्रचारित किया गया था। इस सेंक्चुरी में 6000 गायों को रखने की क्षमता थी। लेकिन सेंक्चुरी ने 4000 गायों के बाद और गायों को आश्रय देने पर हाथ खड़े कर दिए हैं।
मध्य प्रदेश गाय संरक्षण बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद की ओर से ये लाल झंडी दिखाई गई है। बता दें कि स्वामी अखिलेश्वरानंद ही वो शख्स हैं जिन्होंने अलग से गाय मंत्रालय बनाने की मांग की थी। मध्य प्रदेश सरकार ने स्वामी अखिलेश्वरानंद को कैबिनेट मंत्री के दर्जे से तो नवाजा लेकिन जब गाय अभयारण्य के लिए फंड रिलीज करने का सवाल आया तो हाथ खींच लिए।
उन्होंने बताया, ‘हमने 4000 गायों के बाद और गायों को लेना बंद कर दिया है। हमारे पास संसाधन नहीं हैं। किसान इस सीजन मे गायों को खेतों में नहीं घुसने देते। हमारे पास सूचना है कि 10,000 गायों को राजस्थान सीमा की ओर से सेंक्चुरी की ओर धकेला जा रहा है। ऐसे में जब पहले से संसाधनों की कमी है और गायों को अनुमति दी गई तो ये आपदा को न्योता देने जैसा होगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले ऐसी अनेक योजनाएं शुरू की हैं जिनके लिए बहुत धन की आवश्यकता है। ऐसे में मौजूदा योजनाओं से कहीं ओर धन शिफ्ट किए जाने की संभावना ना के बराबर है। स्थिति ऐसी बन गई है कि मध्य प्रदेश सरकार सेंक्चुरी के लिए और फंड जारी नहीं करने की बात मुंह से कह भी नहीं सकती।
जन संपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सरकार की ओर से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया में कहा, ‘हम कामधेनु गाय अभयारण्य में 4000 बेसहारा गायों को पहले से ही ले चुके हैं और अगर फंड की कोई कमी महसूस होगी तो सरकार उसे दूर करना सुनिश्चित करेगी।