गुवाहाटी। असम में एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट जारी हो गया है। इस लिस्ट में 40 लाख लोगों की नागरिकता अवैध घोषित कर दी गई है। मामले की नजाकत को देखते हुए वहां सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और किसी भी तरह अप्रिय घटना को टालने की कोशिश की जा रही है। असम में बांग्लादेश से नागरिक आते रहे हैं। मौजूदा प्रक्रिया साल 2005 में कांग्रेस शासन के दौरान शुरू हुई थी और बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इसमें तेजी आई। इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रहे सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 31 दिसंबर तक एनआरसी का पहला मसौदा प्रकाशित किया जाए।
एनआरसी पर लेकर लोगों में डर के माहौल को देखते हुए पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समूचे राज्य में सुरक्षा बढ़ाई गई। इसके लिए हर जिले के जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को कड़ी सतर्कता बरतने को कहा गया है। असम के बारपेटा, दरांग, दीमा, हसाओ, सोनितपुर, करीमगंज, गोलाघाट और धुबरी समेत कुल 14 जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाई गई है। असम में 33 जिले आते हैं।
साथ ही हर जिले के पुलिस अधीक्षकों ने अपने-अपने संबंधित जिलों में संवेदनशील इलाकों की पहचान की है और किसी भी अप्रिय घटना खासकर अफवाह से होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए स्थिति पर बेहद सावधानी से निगरानी बरती जा रही है। असम और पड़ोसी राज्यों में सुरक्षा चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए केंद्र ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 220 कंपनियां भेजी है। इससे पहले 65 कंपनियां तैनात थीं, लेकिन स्थिति को देखते हुए इसे बढ़ाकर 220 कंपनियां तैनात कर दी गईं।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एनआरसी मसौदा जारी होने के मद्देनजर उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है, और कहा कि ड्राफ्ट में मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं होंगे, उनके दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया की व्याख्या एवं हरसंभव मदद की जाए।