भोपाल। मध्यप्रदेश में दशकों से बीजेपी और कांग्रेस ही चुनावी दंगल में आमने-सामने रही हैं, लेकिन इस बार बसपा, सपा, जीजीपी, आप, सपाक्स जैसी पार्टियों की मौजूदगी से चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। संभावना जताई जा रही है कि राज्य में भाजपा को हराने के लिए ये दल चुनावी गठबंधन कर सकते हैं। प्रदेश में चुनाव साल के अंत में हैं। कांग्रेस जहां प्रदेश में अपना पहले वाला रुतबा हासिल करने और भाजपा से सत्ता छीनने के लिए प्रयासरत है वहीं भाजपा अपना गढ़ बचाने की कोशिश में है। कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता कमलनाथ को प्रदेश प्रभारी बनाया है। भाजपा ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बदलते हुए जबलपुर से लोकसभा सांसद और संगठन के महारथी राकेश सिंह को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है।
शरद यादव के नेतृत्व वाले जेडीयू के बागी गुट ने प्रदेश में ‘महागठबंधन’ के गठन के प्रयास तेज दिये हैं। इसके तहत गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और इससे अलग हुए गुट भारतीय गोंडवाना पार्टी (बीजीपी) जैसे दलों को एक साथ लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की रोजगार, पदोन्नति और शिक्षा में आरक्षण की नीति के विरोध से पैदा हुए संगठन सपाक्स: सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी, कर्मचारी संस्था: के संरक्षक और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि उनकी पार्टी ने प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि मध्यप्रदेश में दो धुव्रीय राजनीति रही है इसलिये कांग्रेस बीएसपी और एसपी जैसे समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन कर सकती है ताकि वोटों, विशेषकर एसटी, एससी और पिछड़े वर्गों के वोटों का विभाजन रोका जा सके। इस बारे में निर्णय उच्च स्तर पर लिया जाएगा। आप और सपाक्स के मौजूदगी पर चतुर्वेदी ने कहा कि ये दल चुनाव में कोई असर नहीं डाल पाएंगे।
प्रदेश में पहली बार चुनावी दंगल में उतरने जा रही आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर चुकी है। आप की मप्र इकाई के संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि आगे चरणबद्ध तरीके से आप के उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 15 जुलाई को इन्दौर में आमसभा प्रस्तावित है।