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सिसोदिया ने एकीकृत जीएसटी को खत्म करने की उठाई मांग
By Deshwani | Publish Date: 27/6/2018 5:36:48 PM नई दिल्ली। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज एकीकृत जीएसटी को समाप्त करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि आईजीएसटी में 1.81 लाख करोड़ रुपये जमा है, लेकिन यह धन बेकार पड़ा है जिससे कि आर्थिक नुकसान हो रहा है। सिसोदिया ने रीयल एस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में लाये जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके जीएसटी के दायरे में आने से कालाधन की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इलेक्ट्रोनिक- वे यानी ई-वे बिल प्रणाली से जुड़े ‘इंस्पेक्टर राज ’को भी समाप्त करने पर जोर दिया गया।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की अवधारणा जब की गई थी तब यह माना गया था इसके लागू होने से देश में ‘ एक राष्ट्र एक कर ’ प्रणाली होगी लेकिन इसमें पांच कर स्लैब होने से यह ‘ एक राष्ट्र , कई करों ’ की प्रणाली बन कर रह गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम की बैठक में सिसोदिया ने कहा कि आईजीएसटी लगाना अच्छा विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि हमें जीएसटी को प्रभावी बनाना है तो आज या कल यह हमें करना ही होगा। जीएसटी के रास्ते में आईजीएसटी सबसे बड़ी समस्या है। माल के अंतरराज्जीय आवागमन पर और आयातित माल पर एकीकृत जीएसटी यानी आईजीएसटी लगाया जाता है। यह राशि केन्द्र के पास जाती है। इसके अलावा मादक पदार्थों, विलासिता से जुड़े सामान पर इसके ऊपर उपकर भी लगाया जाता है। उपकर से प्राप्त राजस्व का इस्तेमाल राज्यों को होने वाली राजस्व कमी की भरपाई के लिये किया जाता है।
सिसोदिया ने कहा कि आईजीएसटी एक प्रकार का अंतरिम कर है जिसे बाद में सीजीएसटी और एसजीएसटी का भुगतान करते समय समायोजित कर लिया जाता है। उन्होंने माल के अंतर राज्यीय आवागमन पर ई-वे बिल व्यवस्था को भी समाप्त करने की जरूरत बताई। आप नेता ने कहा कि इसमें इंस्पेक्टर राज समाप्त होना चाहिये। जब सब कुछ आनलाइन है तो फिर इंस्पेक्टर को ट्रक ड्राइवर से माल के बारे में पूछताछ नहीं करनी चाहिये। आंकड़ों के विश्लेषण से ही यह काम हो जाना चाहिये।