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वट पूर्णिमा आज, वटवृक्ष की पूजा करने से मिलता है अनोखा वरदान
By Deshwani | Publish Date: 27/6/2018 3:31:14 PM
वट पूर्णिमा आज, वटवृक्ष की पूजा करने से मिलता है अनोखा वरदान

नई दिल्ली। हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत मनाया जाता है, जो इस बार 27 जून को है। वट यानी बरगद के वृक्ष को आयुर्वेद के अनुसार परिवार का वैद्य माना जाता है। यह वृक्ष महिलाओं से संबंधित बीमारियों के लिए तो यह कल्पवृक्ष है। इसके नीचे संत गण तपस्या करते हैं। प्रयाग स्थित अक्षय वट और बिहार के बोधिवृक्ष, जहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, से सब परिचित हैं। 


वट सावित्री व्रत उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को तो दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। दोनों में सावित्री की ही पूजा होती है। माह भी एक ही है, बस तिथि का अंतर है। एक अमावस्या को, तो दूसरा पूर्णिमा को मनाया जाता है।


पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म में वट के पेड़ के लिए लोगों में काफी गहरी आस्था है। ऐसा कहा जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का निवास होता है और यही तीन सृष्टि के संचालक हैं। पौराणिक मान्यता है कि वट पूर्णिमा के दिन जो भी सुहागन स्त्री व्रत रखती है और पूजा करती है उसे संतान की प्राप्ति होती है और उसका सुहाग भी लंबी आयु तक बना रहता है। 


पूजा करने के विधि : पूजा के लिए सबसे पहले घर की सफाई करने के बाद स्नान करें। घर के मंदिर की सफाई करें और भगवान की मूर्तियों को भी स्नान करवाएं। मंदिर के साथ पूरे घर में गंगा जल को छिड़के. ये शुद्धिकरण के लिए किया जाता है। पूजा के लिए जल, मौली,रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल और धूप तैयार कर लें। वट वृक्ष के नीचे मिट्टी से बनी सावित्री-सत्यवान और भैंसे पर सवार यम की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा स्थापित करने के बाद पूजा सामग्री से इनकी पूजा करें। वृक्ष की जड़ में पानी दें। पानी से वट वृक्ष के नीचे की मिट्टी को सींचे। वृक्ष के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें। बाद में सत्यवान सावित्री की कथा सुननी चाहिए। भीगे हुए चनों का बायना निकालकर उसपर रुपये रखकर अपनी सास को देना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

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