मध्यप्रदेश (भोपाल)। मध्यप्रदेश सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है, कम्प्यूटर बाबा, पंडित योगेंद्र महंत, स्वामी नर्मदानंद, स्वामी हरिहरानंद और गृहस्थ संत भय्यूजी महाराज। आशा थी ये सभी अब सरकार के कामकाज को आगे बढ़ाएंगे और उसमे सहभागी बनेंगे। लेकिन शिवराज सरकार के नए नवेले 'मंत्री' कंप्यूटर बाबा अपनी तपस्या में अभी भी लीन हैं। मंगलवार को वे भोपाल पहुंचे तो सरकारी गेस्ट हाउस की छत पर ही धूनी रमाने लगे। राज्यमंत्री बनने के बाद भी बाबा के कर्मकांड जारी है।
दरअसल, शिवराज सरकार द्वारा राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने वाले पांच बाबाओं में से कंम्प्यूटर बाबा भी है। मंगलवार को वे भोपाल पहुंचे तो सरकारी गेस्ट हाउस की छत पर ही धूनी रमाने लगे। बाबा धूनी रमाते हुए मीडिया के कैमरे में कैद भी हुए है। इस पर जब बाबा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बंगला नहीं मिला इसलिए गेस्ट हाउस में ही रहकर पूजा कर रहा हूं। वही साधु संतों की नाराजगी पर कंप्यूटर बाबा ने कहा कि ना साधु नाराज है औऱ ना ही कोई संत। यदि चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रचार की जिम्मेदारी देती है तो मैं जरूर भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार करूंगा।
इसके साथ ही हाइकोर्ट के नोटिस पर बाबा ने कहा कि इस पर जबाब देना सरकार का काम है। हमारा काम तो सिर्फ पूजा-पाठ करना है।कर्म करेंगे तो उसका फल ज़रूर मिलेगा। गेस्ट हाउस की छत पर धुनी रमाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम लोग तप तपस्या करते रहते हैं। ये 18 साल तक चलती है। ये आखिरी साल का तप है। छह धूनी होती हैं, तीन तीन साल तापते हैं। पंचधूनी, सप्तधूनी, द्वादश धूनी, चौरासी कोट और ये कोट खप्पर है|
नर्मदा घोटाले का आरोप लगाने वाले कंम्प्यूटर बाबा राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही सरकार की तारीफ करने लग गए है। अब वे नर्मदा घोटाले उजागर करने की बजाय सरंक्षण की बात करने लगे है। बाबा का कहना है कि शिवराज सरकार ने नर्मदा के संरक्षण के लिए एक बेहतर काम किया है। उन्होंने संरक्षण समिति में हमें रखा है, जिसके तहत राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। हम राज्यमंत्री का दर्जा नहीं स्वीकारते तो नर्मदा संरक्षण का काम कैसे आगे बढ़ाते। उनका खाना है कि सोशल मीडिया से युवाओं को जागरूक करेंगे और नर्मदा संरक्षण के काम में उन्हें जोड़ने का प्रयास करेंगे।
22 फरवरी 2018 को बाबा ने प्रधानमंत्री को भेजी चिट्ठी में लिखा कि सरकार ने नर्मदा यात्रा और पौधरोपण के नाम पर घोटाला किया है, जिसे वे उजागर करने के लिए रथ यात्रा निकालेंगे। ऐसे में सरकार कोई अनहोनी करा सकती है। जिसकी जिम्मेदारी मप्र सरकार की होगी। बाबा ने पीएम मोदी को भी चेतावनी दी थी कि घोटाल यात्रा सभी जिलों में निकलेगी, उसके बाद भोपाल में सचिवालय में धरना दिया जाएगा। यदि इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं होती है तो फिर संतों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान पर भी धरना दिया जाएगा। बाबा ने पीएम को लिखा था कि मप्र सरकार द्वारा धर्म और पर्यावरण की आड़ में महाघोटाला किया, जिसे उजागर किया जाएगा। यह आंदोलन सरकार के खिलाफ है। ऐसे में आशंका है कि मेरे और साथियों के साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो फिर मप्र प्रशासन जिम्मेदार होगी। बाबा 1 अप्रैल से प्रदेश में घोटाला यात्रा निकालने वाले थे। लेकिन इससे पहले उनका सरकार से समझौता हो गया है और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया। अब बाबा कुछ भी कहने से बच रहे हैं। बाबा के अनुसार उन्होंने कई पत्र लिखे, लेकिन उन्हें याद नहीं है कि किसमें क्या लिखा।