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सपा-बसपा दोस्ती की अग्नि परीक्षा होगी कैराना उपचुनाव
By Deshwani | Publish Date: 22/3/2018 12:11:00 PM
सपा-बसपा दोस्ती की अग्नि परीक्षा होगी कैराना उपचुनाव

नई दिल्ली: फरवरी में वेस्ट यूपी के दिग्गज भाजपा नेता बाबू हुकुम सिंह के निधन के बाद कैराना लोकसभा सीट खाली हो गई थी। अब 2019 के आम चुनाव से पहले यूपी में कैराना ही एकमात्र लोकसभा सीट है जहां पर उपचुनाव होने जा रहा है। हालांकि बसपा कभी उपचुनाव नहीं लड़ती लेकिन सुनने में आया है कि मायावती ने अखिलेश यादव की दोस्ती की पहल की परीक्षा लेने के लिए कैराना से अपना प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। यहां ये भी जान लेना जरूरी है कि हुकुम सिंह से पहले कैराना (शामली जिला) से सांसद बसपा की तबस्सुम बेगम ही थी। बेगम ने खुद को सक्रिय राजनीति से दूर करते हुए बेटे नाहिद हसन को कमान सौंप दी है। नाहिद सपा के बैनर पर कैराना से दो बार लगातार विधायक बन चुके हैं। कैराना लोकसभा सीट पर जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां मुस्लिम, गुर्जर, दलित व जाट मतों का बोलबाला है। 

 
हुकुम सिंह के लोकसभा में चले जाने के बाद जब कैराना विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तो नाहिद हसन सपा से विधायक चुन लिए गए थे। उन्होंने हुकुम सिंह के भतीजे अनिल चौहान को हराया। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में नाहिद ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को हराया। फिलहाल बसपा में मंथन इस बात को लेकर चल रहा है कि टिकट किसे दिया जाए? कंवर हसन का विरोध उनके भतीजे नाहिद हसन (कैराना से वर्तमान सपा विधायक) ही करेंगे। चूंकि नाहिद अब सपा में जा चुके हैं तो उनकी मां तबस्सुम बेगम (कैराना की पूर्व सांसद व मरहूम सांसद मुनव्वर हसन की बेवा) को बसपा टिकट दे नहीं सकती। ऐसे में बसपा किसी नए नाम पर दांव खेल सकती है। इस उपचुनाव को लेकर बसपा में उत्साह नजर आता है। एक नेता ने तो हाल ही में अपने बयान में यह भी कह दिया है कि अगर मायावती को पीएम पद के लिए सपा समर्थन दे तो अखिलेश को यूपी में सीएम के लिए सपोर्ट दिया जा सकता है। बहरहाल यह अभी दूर की कौड़ी नजर आती है, लेकिन हालात को देखते हुए फिलहाल कैराना के चुनाव को लेकर बसपा का दावा मजबूत नजर आता है।
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