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राजनीतिक सत्ता की चाबी लेने के लिए काम पर ध्यान दें कार्यकर्ता : मायावती
By Deshwani | Publish Date: 15/3/2018 4:43:39 PM
राजनीतिक सत्ता की चाबी लेने के लिए काम पर ध्यान दें कार्यकर्ता : मायावती

चंडीगढ़। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लोकसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने की संभावना जताई है। उन्होंने पार्टी के संस्थापक कांशीराम की जयंती के अवसर पर गुरुवार को यहां आयोजित 5 राज्यों के राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्हें सचेत किया कि वह अब आराम से बैठने के बजाय पार्टी के कामकाज में युद्ध स्तर पर जुट जाएं और केन्द्र तथा राज्यों की राजनीतिक सत्ता की चाबी लेने के लिए काम करें तभी बीजेपी  जैसी संकीर्ण सोच की पार्टियों के जुल्मों से सर्वजन को छुटकारा मिल सकता है।

 

 

उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश की दो सीटें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हवा हवाई हो जाने का असली कारण बसपा का समाजवादी पार्टी को समर्थन देना था। इसके बाद अब बीजेपी लोकसभा चुनाव समय से पहले भी करा सकती है। उन्होंने भाजपा को ईवीएम में गत लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में ईवीएम में गड़बड़ी करके बसपा को राजनीतिक नुकसान पहुंचाया।

 

पार्टी को इसके खिलाफ शीर्ष अदालत जाना पड़ा और उन्हें कुछ उम्मीद बंधी है। उन्होंने मांग की कि चुनाव पुराने पैटर्न बैलेट पेपर के जरिए कराए जाएं। बीजेपी बैलेट पेपर पर चुनाव कराने से घबरा जाती है। उसके दिल में खोट है इसीलिए वो उनके ईवीएम से संबंधित किसी सवाल का जबाव नहीं दे पाई। भाजपाई तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर बसपा को कमजोर बनाने पर तुले है।

 

पूर्व मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर बरसते हुए कहा कि भाजपा तथा आरएसएस के हिंदुत्ववादी तथा संकीर्ण सांप्रदायिक एजेंडे को प्रभावहीन बनाने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को खूब मेहनत करनी होगी तभी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग)को सत्ता में आने से रोका जा सकता है।

 

गत लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने हर स्तर पर लोगों से प्रलोभन भरे चुनावी वादे किए जिन्हें आज तक पूरा नहीं किया जा सका। मायावती ने कहा कि मोदी सरकार के नोटबंदी जैसे गलत फैसलों के चलते देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई।

 

इसी की वजह से बीजेपी में ही विरोध जारी है। बीजेपी और कांग्रेस अब नव भारत का निर्माण नहीं कर सकते। कांग्रेस की नीयत को भी लोग देख चुके हैं। भाजपा की जातिवादी संकीर्ण सोच बदल नहीं सकती और ऐसा ही भाजपा शासित प्रदेश सरकारों में भी देखने को मिल रहा है।

 
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