लखनऊ, (हि.स.)। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार धन की कमी नहीं होने देगी। अभी तक संस्कृत भाषा और संस्कृत के विद्वानों पर किसी का ध्यान ही नहीं गया था। भाजपा सरकार ने संस्कृत संस्थान का बजट दोगुना करने का काम किया है। मुख्यमंत्री बुधवार को लोकभवन में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों ने संस्कृत को बढ़ावा दिया है। वैज्ञानिकों ने दुनिया को यह सिद्ध कर दिखाया कि कम्प्यूटर के लिए सबसे आसान भाषा संस्कृत है। योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘मैं तो संस्कृत विद्यालयों से भी कहता हूं कि प्रतिस्पर्धा में बने रहना है तो संस्कृत के साथ अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर का भी ज्ञान देना चाहिए।’
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने विद्वानों को किया सम्मानित
इस मौके पर राज्यपाल राम नाईक व योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत के विद्वानों को सम्मानित किया। वर्ष 2016 के विश्व भारती पुरस्कार के लिए डॉ. जगन्नाथ पाठक और 2017 के लिए डॉ. केशवराव सदाशिव शास्त्री मुसलगांवकर को प्रदान किया गया। इस पुरस्कार के लिए दोनों महान विभूतियों को पांच लाख रूपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार (दो लाख रूपये)
2016 : डॉ. राम शंकर अवस्थी
2017 : डॉ. प्रशस्य मित्र शास्त्री
महर्षि व्यास पुरस्कार (2,01,000 रूपये)
2016 : प्रो. आजाद मिश्र
2017 : प्रो. हरिदत्त शर्मा
महर्षि नारद पुरस्कार (1,01,000 रूपये)
2016 : डॉ. शिव बालक द्विवेदी
2017 : डॉ. जनार्दन हेगड़े
विशिष्ट पुरस्कार ( रूपये 1,01,000 प्रत्येक को)
2016 : डॉ. प्रमोद बाला, डॉ. बीके शर्मा, डॉ. रामानन्द शर्मा, डॉ. गिरजाशंकर शास्त्र, डॉ. देवी सहाय पाण्डेय ‘‘दीप’’।
2017 : प्रो. राजाराम शुक्ल, प्रो. गोपबन्धु मिश्र, डॉ. राकेश शास्त्री, प्रो. फूलचन्द जैन, डॉ. सुरेन्द्र पाल सिंह।
इस मौके पर अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र और निदेशक हरिबख्श सिंह और संस्कृत संस्थान के श्यामलेश प्रमुख रूप से उपस्थित थे।