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अपने मन में दुर्योधन नहीं, युधिष्ठिर के गुण लाने चाहिए: अखिलेश्वरानंद
By Deshwani | Publish Date: 20/1/2018 11:48:09 AMहोशंगाबाद, (हि.स.)। आदिगुरू शंकराचार्य की अष्टधातु की प्रतिमा के निर्माण के लिए एकात्म यात्रा निकाली जा रही है। एकात्म यात्रा शुक्रवार को देर शाम सुखतवा पहुंची, जहां जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। जनसंवाद में महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि हम प्रकृति के उपासक हैं, इसलिए प्रकृति की हर चीज की पूजा करते हैं। वनवासी क्षेत्र में भी वनवासी पलास व साज के वृक्ष की पूजा करते हैं और वे कभी भी साज के वृक्ष की झूठी कसम नहीं खा सकते हैं। वनवासी सत्यवादी होते हैं। महामण्डलेश्वर ने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य का जन्म तो केरल के एक छोटे से गांव कालड़ी में हुआ था किंतु ज्ञान की तलाश में वे ओमकारेश्वर आए और गुरू गोविंदपाद से दीक्षा ली।
स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि सभी व्यक्ति को अपने मन में दुर्योधन के समान गुण कभी भी नहीं लाना चाहिए। सभी को युधिष्ठिर के गुण अपने मन में लाना चाहिए। दुर्योधन के पास पैसा एवं प्रतिष्ठा थी किंतु ईश्वर उपासना का समय नहीं था। युधिष्ठिर के पास सत्ता नहीं थी किंतु मन में ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा थी। आदि गुरू शंकराचार्य ने हम सभी को सीख दी कि छूआछूत एवं जातिपाति एक सामाजिक कलंक है इसे कभी भी अपने जीवन में हम न अपनाएं। हमारी यात्रा जीवन पर्यंत धर्म से लेकर मोक्ष तक चलती रहती है। इस अवसर पर उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाया। एकात्म यात्रा का केसला से लेकर सुखतवा तक जगह-जगह एकात्म यात्रा का स्वागत किया गया। महामण्डलेश्वर अखिलेश्वरानंद ने पादुका एवं ध्वज की पूजा करवाई और सभी स्कूली छात्र-छात्राओं को श्लोक याद कराए।