ग्वालियर, (हि.स.)। ग्वालियर व्यापार मेले में बुधवार की शाम कला मंदिर रंगमंच पर दो नाटकों का मंचन किया गया। एक नाटक रंग दे बसंती देशभक्ति पर आधारित था, तो दूसरा नाटक कम्प्रोमाइज जिंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव के बीच होने वाले समझौतों को दर्शा रहा था। एक ने देश भक्ति का पाठ पढ़ाया तो दूसरे ने जीवन का।
रंग दे बसंती--देश के लिए चूम लिया फांसी का फंदा
जनसंवाद ग्रुप ग्वालियर के द्वारा रंग दे बंसती नाटक मंचन नारायण सिंह भदौरिया के निर्देशन में किया गया। देशभक्ति की भावना से सजा हुआ यह नाटक अतीत के दर्शन कराने के साथ ही आज के युवाओं को देश भक्ति का पाठ पढ़ाने में कामयाब रहा। नाटक में बताया कि आज हम जिस आजादी के साथ जीवन जी रहे हैं उसे प्राप्त करने के एि रानी लक्ष्मीबाई, राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सहि अनेक युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी और देश हित के लिए अंग्रेजों से बगावत कर क्रांतिकारी बन गए थे।
कम्प्रोमाइज: बिना समझौते के नहीं चल सकती जिंदगी
युवा प्रतिभा सांस्कृतिक मंच द्वारा नाटक कोम्प्रोमाईज का मंचन मशहूर रंगकर्मी अनिल शर्मा के निर्देशन में किया गया । नाटक में मूलत: मानव जीवन की उथल पुथल एवं चाहे अनचाहे फैसलों पर प्रकाश डाला गया । एक घंटे की प्रस्तुति दर्शक दीर्घ में उपस्थित कला प्रेमियों को मानवीय संवेदना से प्रभावशाली सवादों से बाँधने मैं सफल रही। नाटक के कुछ प्रमुख संवाद जिन्होंने दर्शकों का मन मोह लिया" आज हो या कल, कभी न कभी, किसी न किसी से करना ही पड़ता है समझौता " एवं "अगर अपने परिवार के पालन पोषण के लिए हालातों से समझौता करने को नपुंसकता कहते हैं तो मुझे शौक से नपुंसक कहिये" एवं "काम कराने के नाम पर मुझे बंदी बनाया गया है , और ऐसा बंदी जो अपनी मर्जी से बंदी है "। नाटक को लेखक सदफ फिरोज गुलजार ने लिखा है। देर रात तक चले कार्यक्रम में दर्शकों ने नाटकों की खूब प्रशंसा की।